दक्षिणी दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ महिलाओं के चल रहे प्रदर्शन को समाज के विभिन्न वर्गों का समर्थन मिल रहा है. विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्रों के साथ-साथ नागरिक भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं. इन प्रदर्शनकारियों का कहना है कि शाहीन बाग का प्रदर्शन कमजोर न पड़े, इसलिए वो अपनी उपस्थिति यहां दर्ज करवा रहे हैं.
फोटो-सना जैदी
रविवार को शाहीन बाग में अलग ही तस्वीर देखने को मिली. विभिन्न धर्मों हिंदू, सिख, ईसाई को मानने वाले लोग 'सर्व धर्म समभाव कार्यक्रम' में जुटे. इस दौरान शाहीन बाग में हवन किया गया और सिख धर्म के अनुयायियों ने 'कीर्तन' किया. प्रदर्शनकारियों ने संविधान की प्रस्तावना पढ़ी और इस बात का संकल्प लिया कि वो संविधान की समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की रक्षा करेंगे. गीता, बाइबल, कुरान के अलावा गुरुवाणी का पाठ किया गया.
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प्रदर्शन के एक आयोजक सईद तासीर ने बताया कि धार्मिक ग्रंथों का पाठ करने के बाद प्रदर्शनकारियों ने संविधान की प्रस्तावना पढ़ी और शपथ ली. लोगों ने इसके जरिये शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों के प्रति समर्थन जताया है. रविवार को दोपहर बाद प्रदर्शन में शामिल होने वालों की संख्या काफी बढ़ गई. रविवार और मौसम खुशगवार होने की वजह से लोगों ने प्रदर्शन में जमकर भागीदारी की.
आंदोलन के समर्थन में हवन
बता दें कि सर्वधर्म समभाव की अवधारणा महात्मा गांधी ने दी थी जिसमें सभी धर्मों के प्रति सम्मान की बात कही गई है और इस नारे का इस्तेमाल स्वतंत्रता संग्राम के दौरान किया गया था जिसमें सभी धर्मों के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था.
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शाहीन बाग में सरिता विहार-कालिंदी कुंज मार्ग पर महिलाओं और बच्चों सहित सैकड़ों प्रदर्शनकारियों के आंदोलन को सोमवार को एक महीने हो जाएगा. प्रदर्शनकारी विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और प्रस्तावित नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) को रद्द किए जाने की मांग कर रहे हैं. 44 वर्षीय ज़ैनुल आबिदीन सीएए को निरस्त करने की मांग को 16 दिसंबर को भूख हड़ताल पर हैं वहीं सरिता विहार की 40 साल की मेहरुनिसा भी इसमें शामिल हो गई हैं.
शाहीनबाग में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ महिलाओं के चल रहे प्रदर्शन को जामिया के छात्रों का भी भरपूर समर्थन मिल रहा है. सीएए की मुखालफत कर रहे जामिया मिल्लिया इस्लामिया के प्रदर्शनकारियों का कहना है कि शाहीनबाग का प्रदर्शन कमजोर न पड़े, इसलिए वे अपनी उपस्थिति यहां दर्ज करवा रहे हैं. दरअसल, शाहीनबाग में सीएए का विरोध स्थानीय महिलाएं कर रही हैं.
(एजेंसियों के इनपुट के साथ)