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शराब घोटाले से दिल्ली सरकार को कैसे हुआ 2000 करोड़ का नुकसान? CAG रिपोर्ट की 15 बड़ी बातें

दिल्ली शराब घोटाले को लेकर सीएजी की रिपोर्ट विधानसभा में पेश हो गई है. इस रिपोर्ट में ये बताया गया है कि दिल्ली सरकार को दो हजार करोड़ रुपये से अधिक के राजस्व का नुकसान हुआ.

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अरविंद केजरीवाल, आतिशी और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता
अरविंद केजरीवाल, आतिशी और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता

दिल्ली के हालिया विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी की सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को ही मुख्य हथियार बनाया. अरविंद केजरीवाल की सरकार के समय की पेंडिंग सीएजी रिपोर्ट्स सार्वजनिक करने की मांग को लेकर तब विपक्ष के नेता रहे विजेंद्र गुप्ता ने कोर्ट तक लड़ाई लड़ी. अब बीजेपी की रेखा गुप्ता सरकार ने नवगठित विधानसभा के पहले ही सत्र में सीएजी की 14 पेंडिंग रिपोर्ट्स में से एक रिपोर्ट विधानसभा में पेश कर दिया है.

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सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आम आदमी पार्टी की सरकार के समय नई आबकारी नीति में पारदर्शिता और निष्पक्षता की भारी कमी रही. इससे शराब माफियाओं को फायदा हुआ और एकाधिकार की स्थिति बनी. सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में नई आबकारी नीति के कारण दिल्ली सरकार को 2000 करोड़ से अधिक के राजस्व नुकसान की बात कही है. कथित शराब घोटाले को लेकर सीएजी रिपोर्ट में क्या कुछ कहा गया है? 15 बड़ी बातें... 

1. 2002 करोड़ 68 लाख का राजस्व नुकसान

सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि गलत फैसलों की वजह से सरकार को भारी राजस्व नुकसान हुआ. नॉन कंफर्मिंग इलाकों में शराब की दुकानें नहीं खोले जाने की वजह से 941.53 करोड़ का घाटा हुआ. छोड़े गए लाइसेंस को री-टेंडर नहीं करने की वजह से 890 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. कोरोना के नाम पर लाइसेंस फी माफ करने के फैसले से 144 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. सिक्योरिटी डिपॉजिट सही से कलेक्ट नहीं करने से 27 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

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2. लाइसेंस का उल्लंघन

सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 के नियम 35 को सही से लागू नहीं किया गया. जिन लोगों की रुचि मैन्यूफैक्चरिंग और रिटेल में थी, उन्हें होलसेल लाइसेंस दे दिए गए. इससे पूरी लिकर सप्लाई चेन में एक ही व्यक्ति को फायदा हुआ.

3. होलसेलर मार्जिन 5 से बढ़कर 12 फीसदी हुआ

सीएजी रिपोर्ट में होलसेलर का प्रॉफिट बढ़ने का भी उल्लेख है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार की ओर से क्वालिटी चेक के लिए वेयरहाउस में लैब बनाने की बात कही गई लेकिन कोई लैब नहीं बनी. इससे होलसेलर का मुनाफा बढ़ा और सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ. 

4. कोई स्क्रीनिंग नहीं हुई, फाइनेंशियल चेक नहीं हुआ

सीएजी रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि लिकर जोन्स चलाने के लिए सौ करोड़ रुपये की जरूरत थी लेकिन सरकार ने कोई फाइनेंशियल चेक नहीं किया. कई बिडर्स ऐसे थे जिनकी पिछले तीन साल की इनकम बहुत कम या जीरो थी. इससे प्रॉक्सी ऑनरशिप और राजनीतिक फेवरिटिज्म की संभावनाएं बढ़ गईं.

5. दरकिनार की गई एक्सपर्ट्स की राय

सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने अपनी ही एक्सपर्ट कमेटी की सलाह को दरकिनार किया और नीति में मनमाने बदलाव किए.

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6. पारदर्शिता का अभाव, कमजोर चेक

सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक पहले एक व्यक्ति को सिर्फ दो दुकानें रखने की अनुमति थी लेकिन नई नीति में ये लिमिट बढ़ाकर 54 कर दी गई. पहले सरकार की 377 दुकानें थीं लेकिन नई नीति में 849 लिकर वेंड्स बना दिए गए जिनमें से सिर्फ 22 प्राइवेट प्लेयर्स को ही लाइसेंस मिले. इससे एकाधिकार और कार्टलाइजेशन को बढ़ावा मिला.

7. एकाधिकार और ब्रांड पुशिंग

सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक मैन्यूफैक्चरर्स को सिर्फ एक होलसेलर के साथ टाईअप करने की बाध्यता थी. कुल शराब बिक्री में 367 पंजीकृत IMFL ब्रांड्स में से सिर्फ 25 ब्रांड्स की हिस्सेदारी 70 फीसदी थी. सिर्फ तीन होलसेलर्स (इंडोस्पिरिट, महादेव लिकर्स और ब्रिंडको) ने 71 फीसदी आपूर्ति पर कंट्रोल किया.इससे शराब के मूल्य मैनिपुलेट किए गए और उपभोक्ताओं के पास कम विकल्प बचे.

8. कैबिनेट प्रॉसीजर का उल्लंघन

बड़े फैसले कैबिनेट अप्रूवल के बिना और उपराज्यपाल से सलाह के बिना लिए गए जो विधिक प्रक्रिया के खिलाफ था.

9. आवासीय इलाकों में खुलीं अवैध दुकानें

सीएजी रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि आबकारी विभाग ने आवासीय और मिक्स लैंड यूज वाले इलाकों में भी शराब की दुकानें खोलने की अनुमति दे दी. निरीक्षण करने वाली टीम ने गलत रिपोर्ट दी और कुछ जगहों पर आवेदकों ने खुद माना कि उनकी दुकानें आवासीय इलाकों में थीं. MCD ने 2022 की शुरुआत में ऐसी चार अवैध शराब दुकानों को सील कर दिया था.

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10. शराब की कीमतों में पारदर्शिता की कमी

सीएजी रिपोर्ट में शराब की कीमतों में पारदर्शिता की कमी का भी उल्लेख किया गया है. एक्साइज डिपार्टमेंट ने एल वन लाइसेंस को अपनी मनमानी कीमत तय करने की छूट दी जिससे कीमतों का मैनिपुलेशन हुआ.

11. टेस्टिंग से संबंधित नियमों का उल्लंघन

सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने बिना क्वालिटी टेस्ट के लाइसेंस दे दिए. कई टेस्ट NABL से अप्रूव लैब से नहीं कराए गए थे जिससे BIS और FSSAI की गाइडलाइंस का उल्लंघन हुआ. 51 फीसदी विदेशी शराब की टेस्ट रिपोर्ट या तो बहुत पुरानी थीं या थीं ही नहीं. हैवी मेटल्स, मिथाइल अल्कोहल जैसे नुकसानदायक तत्वों की जांच भी सही से नहीं हुई.

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12. तस्करी और एक्साइज इंटेलिजेंस ब्यूरो (EIB)

सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक ईटीबी ने शराब की तस्करी रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की. जब्त की गई शराब में 65 फीसदी देसी शराब थी लेकिन फिर भी बार-बार ऐसा करने वालों के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए.

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13. खराब डेटा मैनेजमेंट और अवैध शराब के व्यापार को बढ़ावा

सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि एक्साइज डिपार्टमेंट ने बुनियादी रिकॉर्ड्स मेंटेन किए. इससे राजस्व का नुकसान हुआ और तस्करी का पैटर्न ट्रैक करना मुश्किल हो गया. शराब आपूर्ति की बाध्यताओं, सीमित ब्रांड के विकल्प और बोतल के आकार की बाध्यताओं की वजह से अवैध शराब का व्यापार बढ़ा.

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14. नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई नहीं

सीएजी रिपोर्ट में शराब नीति का उल्लंघन करने वाले लाइसेंस धारकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं किए जाने को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं. सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि कई एक्साइज रेड्स सिर्फ दिखावे के लिए की गई और छानबीन की रिपोर्ट्स भी कमजोर थीं.

15. पुराने तरीकों का इस्तेमाल

सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि Excise Adhesive Label project लागू नहीं किया गया जिससे शराब आपूर्ति चेन में फ्रॉड बढ़ने की संभावनाएं रहीं. मॉडर्न एआई और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करने की बजाय पुराने और निष्प्रभावी ट्रैकिंग मेथड्स अपनाए गए.

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