दिल्ली से गुजरने वाली नहरों का पानी लाशें उगल रहा हैं. कोंडली नहर करीब-करीब हर रोज एक लाश उगलती है. गुजरे कुछ अरसे में जिस हिसाब से ये नहर लाशों पर लाशें उगल रही है. यहां आस पास के लोगों ने इस नहर को लाशों वाली नहर कहना शुरू कर दिया है.
सोमवार को पुलिस को नहर में एक लाश पड़ी होने की इत्तेला मिली. पुलिस और दमकल की टीमें मौके पर पहुंची और शव को नहर से बाहर निकाला. लाश की पहचान त्रिलोकपुरी के संजय के रूप में हुई है. जिसकी उम्र 38 साल है. संजय एनडीएमसी में नौकरी करता था और बीती पांच अप्रैल से लापता था. संजय के परिजनों का आरोप है की उसकी हत्या की गई है लेकिन क्यों इस सवाल पर सब चुप हैं.
कोंडली की नहर की ही तर्ज पर दिल्ली के दूसरे छोर रोहणी के पास बहने वाला ये नाला इलाके की गंदगी के साथ साथ अब तक सैकड़ों जिंदगियों को लील चुका है.
यहां भी लाशों के रोज मिलने का सिलसिला बन चुका है. कहा तो ये भी जाता है कि जरायम की दुनिया से ताल्लुक रखने वाले लोग इस नाले पर आकर अपने जुर्म और लाशों को ठिकाने लगाते हैं. सोमवार को भी इस नाले से एक पचास साल के एक शख्स की लाश मिली.
रविवार को भारत नगर इलाके के नाले से एक शख्स की लाश मिली थी. इससे पहले बवाना नहर में दो लाशें दो दिन पहले मिल चुकें है. बुराड़ी का मुकुंद पर इलाका और इसके पास लगते नाले में भी आये दिन लाशें मिलती रहती है. दिल्ली का नजफगढ़ नाला भी लाशों को ठिकाने लगाने का एक बड़ा अड्डा बन गया है. बवाना से पीतम पूरा केशव पुरम और अशोक विहार के साथ लगती हरियाणा नहर में भी लाशें मिलाने की खबरें आम हो गयी है .
ये तो हाल है दिल्ली के भीतर का, लेकिन दिल्ली से सटे हुए इलाकों का हाल भी कोई बहुत ज्यादा जुदा नहीं है. गाजियाबाद और मुरादनगर में सोमवार को दो लाशें मिलीं और दोनों ही लाशें नहर से बरामद हुईं. ऐसे में सवाल यही खड़ा होता है कि आखिर जिंदगी की प्यास बुझाने वाले ये ठिकाने क्यों जिंदगी को ठिकाने लगाने के ठिकाने बन गए हैं.