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दिल्ली: सरकारी अस्पताल में जॉब घोटाला, रिश्वत लेकर बना रहे हैं डॉक्टर

अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट को भेजे गए पत्र में शिकायत की गई है कि वहां नौकरी के बदले पैसे लिए जा रहे हैं और इसी की वजह से बीते छह महीनों में वहां एक भी वैकेंसी का विज्ञापन नहीं दिया गया है.

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दिल्ली के दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में जूनियर डॉक्टरों ने आरोप लगाया है कि सीनियर डॉक्टर पैसे लेकर खाली पोस्ट बेच रहे हैं. सरकारी संस्थान में इस तरह का घोटाला सामने आने से यह साफ हुआ है कि देश के हेल्थकेयर सिस्टम में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार चल रहा है.

अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट को भेजे गए पत्र में शिकायत की गई है कि वहां नौकरी के बदले पैसे लिए जा रहे हैं और इसी की वजह से बीते छह महीनों में वहां एक भी वैकेंसी का विज्ञापन नहीं दिया गया है.

'हमें नहीं पता कितनी वैकेंसी हैं'
अस्पताल के एक डॉक्टर ने कहा, 'इंटरव्यू नवंबर 2015 में हुआ था. उसके बाद करीब 5 बार इंटरव्यू फिर से हुआ. हमें यह नहीं पता कि कितनी वैकेंसी हैं.'

एसोसिएशन ने लिखी चिट्टी
रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन की ओर से 18 मई को यह पत्र लिखा गया था. एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. सुमित पारिआ ने कहा, 'हमें लगातार इस बात की शिकायतें मिलीं हैं कि इंटरव्यू के दौरान पैसों का लेन-देन हो रहा है. हमने प्रशासन से इस मामले में तुरंत कार्रवाई करने को कहा है.'

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तीन डॉक्टरों का पैनल करता है स्क्रूटनी
डॉक्टरों की भर्ती के लिए अस्पताल में कार्यप्रणाली बनाई गई है. पैरामेडिक्स के मुताबिक, तीन रेजीडेंट डॉक्टरों का एक पैनल इंटरव्यू करेगा और उन्हें अलग-अलग स्तर पर रेट करेगा.

ये है रेट कार्ड
अस्पताल में काम कर रहे एक डॉक्टर ने कहा, 'नौकरी के लिए हमें 70 हजार से 80 हजार रुपये तक देने को कहा गया था. इसके साथ ही अगर किसी खास विभाग में नौकरी चाहिए तो उसका अलग रेट कार्ड था. किसी डिपार्टमेंट में जाने के लिए आपको इतनी राशि के अलावा 20 से 30 हजार रुपये और देने होते थे.'

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