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आबकारी नीति मामला: AAP कार्यकर्ता चरणप्रीत सिंह गिरफ्तार, कोर्ट ने CBI की कस्टडी में भेजा

सीबीआई ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में AAP कार्यकर्ता चरणप्रीत सिंह को गिरफ्तार किया है. वहीं, राउज एवेन्यू कोर्ट ने चरणप्रीत सिंह को 18 मई तक सीबीआई की हिरासत में भेज दिया है. सीबीआई उससे केस के सिलसिले में पूछताछ करेगी और भूमिका के बारे में पता करेगी. सीबीआई ने चरणप्रीत को लेकर कई बड़े आरोप लगाए हैं.

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सीबीआई ने AAP कार्यकर्ता को अरेस्ट किया है. (फाइल फोटो)
सीबीआई ने AAP कार्यकर्ता को अरेस्ट किया है. (फाइल फोटो)

दिल्ली आबकारी नीति मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मंगलवार को एक और गिरफ्तारी की है. जांच एजेंसी ने अब आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता चरणप्रीत सिंह को गिरफ्तार किया है. उसके बाद सिंह को राउज एवेंन्यू कोर्ट में पेश किया गया. सीबीआई ने 5 दिन की हिरासत मांगी थी. लेकिन, कोर्ट ने दो दिन की कस्टडी मंजूर की और 18 मई तक हिरासत में भेज दिया.

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इससे पहले चरणप्रीत के वकील ने कोर्ट में दलीलें लीं. उन्होंने कहा- चरणजीत सिर्फ 26 साल का है और उसे जब भी बुलाया गया, वो जांच में शामिल हुआ है. जांच एजेंसियों द्वारा उस पर बयान को लेकर दबाव डाला जा रहा है. उसके पिता के सामने धमकी दी गई है. वकील ने कोर्ट को यह भी बताया कि जांच के दौरान उसे गवाह के तौर पर बुलाया जाता था. ना कि आरोपी के तौर पर.

मीडिया अधिकारी की भी हुई है गिरफ्तारी

वहीं, जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि दिल्ली निवासी चरणप्रीत सिंह हवाला संचालकों से पैसा इकट्ठा कर रहा था और AAP के गोवा विधानसभा चुनाव (2022) कैंपेन के दौरान इन पैसों को अलग-अलग जगह बांट रहा था. पिछले हफ्ते सीबीआई ने मीडिया अधिकारी अरविंद कुमार सिंह को कथित तौर पर 17 करोड़ रुपये चैरियट मीडिया को ट्रांसफर करने के आरोप में गिरफ्तार किया था. बता दें कि चैरियट मीडिया गोवा चुनाव के दौरान AAP का कैंपेन संभाल रही थी. 

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'हवाला कारोबारियों से पैसे इकट्ठा कर रहा था चरणप्रीत'

आरोप है कि 17 करोड़ रुपए की इस राशि का एक हिस्सा कथित तौर पर चरणप्रीत सिंह ने भी बांटा था. अधिकारियों ने बताया कि वह हवाला ऑपरेटरों से पैसा इकट्ठा करने और इसे चुनावी कैंपेन में बांटने वाले लोगों में एक नाम चरणप्रीत का है. सीबीआई की प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि शराब व्यापारियों को लाइसेंस देने के लिए 2021-22 के लिए दिल्ली आबकारी नीति में कुछ डीलरों को फायदा पहुंचाया गया. उन्होंने इसके लिए कथित रूप से रिश्वत दी थी. हालांकि, इन आरोपों को सत्तारूढ़ AAP ने खारिज किया था. बाद में सरकार ने इस पॉलिसी को ही रद्द कर दिया था.

आगे यह भी आरोप लगाया गया कि आबकारी नीति में संशोधन, लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ देना, लाइसेंस शुल्क में छूट/कमी, अनुमोदन के बिना एल-1 लाइसेंस का विस्तार समेत अनियमितताएं की गईं हैं. सीबीआई के अनुसार, पॉलिसी में कुछ खामियां जानबूझकर छोड़ी गई थीं या बनाई गई थीं. बाद में उनका दुरपयोग किया जाना था. एजेंसी ने आरोप लगाया कि सह-आरोपी विजय नायर, अभिषेक बोइनपल्ली और दिनेश अरोड़ा के माध्यम से दिल्ली में कुछ AAP नेताओं और दक्षिण भारत के कुछ लोगों द्वारा शराब के कारोबार में लोक सेवकों को अग्रिम रूप से लगभग 90-100 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई थी.

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