अरविंद केजरीवाल को कथित शराब नीति मामले में दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश करने के बाद- अदालत परिसर के अंदर ही सीबीआई ने उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया. सीबीआई ने केजरीवाल का अरेस्ट मेमो वेकेशन बेंच के स्पेशल जज अमिताभ रावत को सौंपा, जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने का आधार केंद्रीय जांच एजेंसी ने बताया है. सीबीआई के मुताबिक अरविंद केजरीवाल से पूछताछ और उनकी गिरफ्तारी के पीछे की प्रमुख वजह यह है कि वह बतौर मुख्यमंत्री उस कैबिनेट का हिस्सा थे जिसने विवादित नई शराब नीति को मंजूरी दी थी.
सीबीआई का आरोप है कि कथित अवैध रिश्वत लेने के बाद तत्कालीन आबकारी नीति 2021-22 में कुछ खास लोगों को लाभ देने के लिए उनके मन मुताबिक संशोधन किए गए. शराब के थोक विक्रेताओं के लिए प्रॉफिट मार्जिन को 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया. सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव के चलते अंतरिम जमानत मिली थी. उस वक्त हमने केजरीवाल से पूछताछ नहीं की. हमने इंतजार किया और अब कार्रवाई कर रहे हैं.
सचिवालय में मगुंटा रेड्डी मिले थे केजरीवाल: CBI
केंद्रीय जांच एजेंसी ने कहा कि 16 मार्च 2021 को एक शराब कारोबारी से संपर्क किया गया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शराब नीति को लेकर मिलना चाहते हैं. अरविंद केजरीवाल ने 16 मार्च को सचिवालय में मगुंटा रेड्डी से पहली बार मुलाकात की. वह सांसद हैं और दक्षिण में बड़ा नाम हैं, उन्होंने उत्पाद शुल्क नीति में फेवर मांगा. केजरीवाल ने फेवर सुनिश्चित किया और उनसे इसके बदले आम आदमी पार्टी को आर्थिक मदद करने के लिए कहा. इस संबंध में मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी का बयान मौजूद है.
केंद्रीय जांच ब्यूरो के मुताबिक बीआरएस नेता के. कविता और मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी 20 मार्च 2021 को मिले. इससे पहले 19 मार्च को कविता ने मगुंटा रेड्डी से मिलने के लिए फोन कॉल पर समय और जगह तय की थी. विजय नायर को दोनों नेताओं के बीच इस मुलाकात को कोऑर्डिनेट करने का जिम्मा सौंपा गया. विजय नायर 19 मार्च को हैदराबाद में मौजूद था. लॉकडाउन की वजह से एक प्राइवेट फ्लाइट से अभिषेक बोइनपल्ली और बुचीबाबू दिल्ली पहुंचे. फिर साउथ ग्रुप और दिल्ली सरकार के प्रतिनिधियों की राष्ट्रीय राजधानी में मुलाकात हुई. इस मुलाकात के लगभग दो महीने बाद 25 मई 2021 को नई शराब नीति आई.
साउथ ग्रुप द्वारा तैयार की गई GoM रिपोर्ट: CBI
सीबीआई ने कोर्ट को सौंपे गए दस्तावेज में लिखा है कि अभिषेक बोइनपल्ली ने विजय नायर के माध्यम से दिल्ली के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को एक रिपोर्ट भेजी थी. सिसोदिया के सचिव सी. अरविंद ने रिपोर्ट टाइप की और इसे उनके कैंप कार्यालय (सीएम) में दिया गया. जीओएम (ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स) की रिपोर्ट साउथ ग्रुप द्वारा तैयार की गई थी. वही रिपोर्ट एलजी कार्यालय को भी भेजी गई. एलजी ऑफिस ने उस रिपोर्ट पर विस्तार और गहराई से विचार किया और 7 सवाल उठाए गए. लेकिन जीओएम ने उन सवालों पर कभी चर्चा ही नहीं की.
इसके बाद उप राज्यपाल के दफ्तर से एकमात्र सुझाव यह आया कि इसे मंत्रियों के समूह (GOM) के माध्यम से ही भेजा जाना चाहिए. इस पर विचार नहीं किया गया. कोविड का समय चल रहा था. इसलिए जल्दबाजी में यह काम किया गया. जीओएम के बीच कोई चर्चा नहीं हुई बल्कि सर्कुलेशन के जरिए ही सबके हस्ताक्षर लिए गए. सब जल्द से जल्द पॉलिसी लागू करना चाहते थे. कोई भी इंतजार नहीं करना चाहता था. अब बड़ा मुद्दा ये है कि इस मामले की कमान किसके हाथ में रही?
सभी लेनदेन कैश में हुए, 44 करोड़ का पता लगा
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि सभी लेनदेन नकदी में हुए. केंद्रीय एजेंसी ने कोर्ट में कहा कि हम 44 करोड़ रुपये के लेनदेन के बारे में पता लगा पाए हैं. यह भी पता लगा लिया है कि यह पैसा गोवा कैसे पहुंचा. वहां इसका इस्तेमाल कैसे किया गया. हमें पता चल गया है कि चनप्रीत सिंह ने गोवा चुनाव में AAP के लिए पैसों का इंतजाम किया. यहां तक कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के वहां रहने का सारा खर्च भी उसी ने उठाया.
सीबीआई ने कहा कि एक्साइज पॉलिसी के लिए सार्वजनिक सुझाव मांगे गए और उन सुझावों से छेड़छाड़ की गई. मनगढ़ंत सुझाव दिए गए. हमारे पास इसके पर्याप्त सबूत हैं कि आम आदमी पार्टी के सदस्यों ने ही ये सुझाव दिए थे. कुछ अधिकारी ऐसे थे, जिन्होंने पॉलिसी पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया. जिस अधिकारी ने कहा था कि मैं हस्ताक्षर नहीं करूंगा, उसे बदल दिया गया.