दिल्ली में आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया की मुसीबतें और बढ़ सकती हैं. दरअसल, सीबीआई ने उनके खिलाफ एक और मामला दर्ज किया है.ये केस 'फीडबैक यूनिट'के जरिए जासूसी करने का है. फरवरी में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मनीष सिसोदिया पर सीबीआई को एफआईआर दर्ज करने और जांच करने की मंजूरी दी थी. उधर, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने इस केस को कूड़ा करार दिया है. उन्होंने कहा कि हम अभी कूड़े पर बात कर रहे हैं,लेकिन वो भी कूड़ा (केस) ही है.
क्या है मामला?
दरअसल, दिल्ली सरकार में विजिलेंस डिपार्टमेंट मनीष सिसोदिया के पास है. जिसमें साल 2015 में फीड बैक यूनिट (FBU) का गठन किया गया था. तब इसमें 20 अधिकारियों के साथ काम करना शुरू किया था. आरोप है कि FBU ने फरवरी 2016 से सितंबर 2016 तक राजनीतिक विरोधियों की जासूसी की. यूनिट ने न सिर्फ बीजेपी के बल्कि AAP से जुड़े नेताओं पर भी नजर रखी. इतना ही नहीं यूनिट के लिए LG से भी कोई अनुमति नहीं ली गई.
आरोप है कि यूनिट ने तय कामों अलावा राजनीतिक खुफिया जानकारी भी इकट्ठा की. सीबीआई को शुरुआती जांच में सबूत मिले हैं कि FBU ने राजनीतिक खुफिया जानकारी इकट्ठा की. इसके बाद सीबीआई ने 12 जनवरी 2023 को इस मामले में खुफिया विभाग को एक रिपोर्ट पेश की और एलजी से भ्रष्टाचार के मामले में मनीष सिसोदिया और अन्य अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की थी. एलजी के बाद गृह मंत्रालय ने सीबीआई को जांच के लिए परमिशन दे दी थी.
केजरीवाल बोले- ये दुखद
उधर, अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि पीएम मोदी की साजिश है कि मनीष सिसोदिया पर झूठे केस लगाकर उन्हें जेल में ही रखा जाए. यह देश के लिए दुखद है.
अभी सीबीआई और ईडी की गिरफ्त में हैं सिसोदिया
दिल्ली की शराब नीति में कथित घोटाले के मामले में सिसोदिया को 26 फरवरी को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था. इसके कुछ दिन बाद जेल में ही ईडी ने पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. सिसोदिया 20 मार्च तक न्यायिक हिरासत में हैं. वे अभी तिहाड़ जेल में बंद हैं. उनकी जमानत याचिका पर 21 मार्च को सुनवाई होनी है.
क्या है शराब नीति घोटाला?
दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नई एक्साइज पॉलिसी लागू की थी. दिल्ली सरकार ने नई एक्साइज पॉलिसी लाने को लेकर माफिया राज खत्म करने का तर्क दिया था. ये भी दावा किया गया था कि इससे सरकार के राजस्व में भी इजाफा होगा. जुलाई 2022 में दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव ने इस मामले में एलजी वीके सक्सेना को रिपोर्ट सौंपी थी. इसमें एक्साइज पॉलिसी में गड़बड़ी के साथ ही डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पर शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने का भी आरोप लगा था. इसी रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई ने 17 अगस्त 2022 को सिसोदिया समेत 15 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. 22 अगस्त को ईडी ने आबकारी नीति में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था. 6 महीने की जांच के बाद सीबीआई ने सिसोदिया को गिरफ्तार किया.