दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को शराब नीति में हुए कथित घोटाले के मामले में CBI ने गिरफ्तार कर लिया है. CBI को अदालत से सिसोदिया की 5 दिन की रिमांड हासिल करने में भी कामयाबी मिल गई है. लेकिन सवाल यह है कि आखिर इन 5 दिनों में जांच एजेंसी सिसोदिया से क्या सवाल करेगी? जांच एजेंसी से जुड़े सूत्रों ने आजतक को सिसोदिया से किए जाने वाले 5 सवालों के बारे में जानकारी दी है.
1. सूत्रों की मानें तो सबसे पहले CBI सिसोदिया से 100 करोड़ रुपए की रिश्वत के मामले में पूछताछ करेगी. आरोप है कि यह रिश्वत पैसे देने वालों के पक्ष में शराब नीति तैयार करने के एवज में विजय नायर नामक शख्स को दिए गए. दावे के मुताबिक नायर को सिसोदिया का करीबी माना जाता है. पैसे दक्षिण भारत के एक बड़े समूह ने एडवांस के तौर पर दिए थे.
2. सूत्रों के मुताबिक रिश्वत के पैसे हवाला चैनल के जरिए मिले थे, जिसे विजय नायर ने आम आदमी पार्टी तक पहुंचाया. इन सवालों को लेकर भी सिसोदिया से पूछताछ होगी.
3. जांच एजेंसी से जुड़े सूत्रों का यह भी दावा है कि मनीष सिसोदिया ने आबकारी मंत्री और मंत्रियों के समूह (GOM) के सदस्य के रूप में कैबिनेट नोट में कुछ बदलाव कर हेरफेरी की.
4. सूत्रों का दावा है कि सिसोदिया ने 2021-22 में आबकारी नीति से जुड़े कुछ स्टेकहोल्डर्स की मोनोपॉली स्थापित करने के लिए गलत बदलाव किए.
5. सीबीआई के पास सवालों का आधार दिखाने के लिए मौखिक के अलावा कई दस्तावेजी सबूत भी हैं, जिनका मनीष सिसोदिया से सामना कराया जाएगा.
मनीष सिसोदिया पर दिल्ली की एक्साइज पॉलिसी 2021-22 में गड़बड़ी करने का आरोप है. उनपर एक्साइज पॉलिसी बनाते समय और उसे लागू करते समय नियमों के उल्लंघन करने का आरोप है.
दिल्ली की शराब नीति में कथित घोटाले में सीबीआई ने पिछले साल अगस्त में केस दर्ज किया था. इसमें सीबीआई ने मनीष सिसोदिया, तीन पूर्व सरकारी अफसर, 9 कारोबारी और दो कंपनियों को आरोपी बनाया है. मनीष सिसोदिया को इसलिए आरोपी बनाया गया है, क्योंकि एक्साइज डिपार्टमेंट उन्हीं के पास है.
सिसोदिया अब 4 मार्च तक सीबीआई की हिरासत में रहेंगे. उनसे एक्साइज पॉलिसी में हुई कथित गड़बड़ी को लेकर पूछताछ की जाएगी. सीबीआई ने मनीष सिसोदिया की पांच दिन की हिरासत मांगी थी. सीबीआई की इस मांग को मानते हुए स्पेशल जज एमके नागपाल ने सिसोदिया को 4 मार्च तक की हिरासत में भेज दिया था.
अदालत ने कहा था कि सिसोदिया भले ही पहले दो बार जांच में शामिल हुए हों, लेकिन वो ज्यादातर सवालों के संतोषजनक जवाब देने में नाकाम रहे. इस तरह, अब तक की जांच में उनके खिलाफ जो भी कथित आपत्तिजनक सबूत सामने आए, उनकी सफाई देने में भी वो फेल रहे.
कोर्ट ने कहा था कि ये सच है कि उनसे ऐसे बयानों की उम्मीद नहीं की जा सकती, जिससे वो खुद अपराधी साबित हो जाएं, लेकिन न्याय के हितों और निष्पक्ष जांच के लिए उन्हें कुछ सवालों के सही जवाब देना जरूरी है.