दिल्ली में महिला सुरक्षा से जुड़ी जन हित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने दिल्ली में पुलिस की भर्ती की प्रक्रिया पूरी न होने पर नाराजगी जताई है. कोर्ट ने केंद्र को कहा है कि क्यों सिर्फ मीटिंग ही की जाती हैं. जबकि काम अभी तक नहीं हो पा रहा है. मामला दिल्ली पुलिस में स्टाफ की शॉर्टेज से जुड़ा हुआ है. दिल्ली पुलिस में 14 हजार पुलिस कर्मियों की नियुक्ति होनी है. लेकिन 5 साल से इस पर बात आगे नहीं बढ़ पाई है.
पिछली कई सुनवाई के दौरान वित्त मंत्रालय ने कहा था कि इन नियुक्तियों पर हर साल का 480 करोड़ का खर्च आएगा. पिछले कई साल से गृह मंत्रालय से वित्त मंत्रालय के बीच मीटिंग और फाइल पर ही काम हो रहा है. लेकिन नियुक्ति पर बात आगे नहीं बढ़ पाई है. हाईकोर्ट इस रवैये पर नाराजगी जाहिर की.
कोर्ट की नाराजगी इस बात पर भी थी कि दिल्ली के सभी पुलिस स्टेशनों में अभी भी सीसीटीवी कैमरा लगाने के काम पूरा नहीं हो पाया है. दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया कि फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तहत 44 पुलिस स्टेशन में 6630 सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं. कोर्ट ने इस पर कहा कि सीसीटीवी लगाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट की क्या जरूरत है. सुरक्षा और मॉनिटरिंग के लिए सीसीटीवी की जरूरत है और वो पुलिस स्टेशन में होने चाहिए.
कोर्ट ने कहा कि हमें अभी भी नहीं पता कि आप ये कैमरे कब तक लगा पाएंगे. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस के सभी 192 थानों में कैमरे लगाने की जरूरत है, जिन पुलिस स्टेशनों में 2003 में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं, उनको भी अपडेट करने की जरूरत है. कोर्ट ने अगली सुनवाई में दिल्ली पुलिस को स्टेटस रिपोर्ट भी देने को कहा है. हाई कोर्ट मामले की अगली सुनवाई 16 नवंबर को करेगी.