देश की राजधानी दिल्ली में वाहनों से फैलने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए पहली बार हाइड्रोजन युक्त CNG का इस्तेमाल शुरू किया जा रहा है. केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार साथ मिलकर पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत कर रहे हैं. इसके तहत अगले 6 महीने तक 50 क्लस्टर बसों में हाइड्रोजन मिक्स कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस (H-CNG) का इस्तेमाल किया जायेगा.
हाइड्रोजन युक्त प्लांट का जायजा लेने पहुंचे दिल्ली सरकार में परविहन मंत्री कैलाश गहलोत ने बताया कि हाइड्रोजन युक्त CNG का ट्रायल पिछले 2 साल से चल रहा था. उन्होंने कहा, "हाइड्रोजन युक्त सीएनजी में 70 से 75 फीसदी कार्बन मोनोऑक्साइड कम होंगे. इसके साथ ही 25% हाइड्रोकार्बन भी कम होगा. वहीं 3-4 प्रतिशत फ्यूल एफिशिएंसी बढ़ेगी. ऐसे में अगले छह महीने के ट्रायल में हाइड्रोजन CNG के अच्छे परिणाम मिलते हैं तो एक दिन दिल्ली की सभी बसें और निजी वाहन भी हाइड्रोजन CNG पर चलेंगे."
क्या है हाइड्रोजन युक्त CNG
अब तक इस्तेमाल की जा रही CNG पेट्रोल और डीजल के मुकाबले कम प्रदूषण फैलाती है. वहीं हाइड्रोजन युक्त-सीएनजी ईंधन में 18 प्रतिशत हाइड्रोजन और 82 फीसदी सीएनजी गैस का मिश्रण होगा. सीएनजी के मुकाबले हाइड्रोजन युक्त CNG से कम प्रदूषण फैलेगा. राजघाट डिपो प्लांट में सीएनजी को ही स्टीम करके 18% हाइड्रोजन को रिफॉर्म किया जाता है. हाइड्रोजन युक्त सीएनजी का राजघाट पर बना प्लांट, देश का पहला प्लांट है जो 4 टन की क्षमता रखता है.
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कैलाश गहलोत ने कहा कि अगर हाइड्रोजन युक्त सीएनजी के रिजल्ट पॉजिटिव आते हैं तो बसों के अलावा निजी वाहन और घर-घर तक हाइड्रोजन युक्त सीएनजी का इस्तेमाल हो पाएगा. दिल्ली में CNG प्लांट पर ही हाइड्रोजन प्लांट बनाया जा सकता है. अधिकारियों के मुताबिक इस पायलट प्रोजेक्ट और स्टडी के लिए दिल्ली सरकार ने 15 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है.