छठ महापर्व की छटा निराली है. दिवाली के अगले दिन से ही जोर शोर से छठ पूजा की तैयारियां होने लगती हैं.
छठ महापर्व की घरेलू तैयारियों के बाद बारी आती हैं, बाहरी व्यवस्था की. छठ के कुछ सप्ताह पहले ही घाटों की साफ-सफाई कर दी जाती है. इस सफाई में नदी या तालाब के पानी की सफाई महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि व्रती पानी में खड़े होकर ही सूर्य को अर्घ्य देती हैं.
छठ पर्व में साफ सफाई का खास महत्व है. ऐसी मान्यता है कि छठ माता प्रकृति की देवी हैं और उन्हें साफ-सफाई बहुत पसंद है.
लेकिन राजधानी में पिछले साल की तरह ही इस बार भी छठ घाट जस के तस पड़े हैं. न तो घाटों की सफाई की गई है और ना ही पानी साफ करने का वादा पूरा किया गया है.
इस बार भी यमुना के घाटों पर गंदगी का अंबार हैं और यमुना का पानी काला है. यानी इस बार व्रती सूर्य और छठ माता को निर्मल जल से नहीं बल्कि काला पानी से अर्घ्य देंगी.
हालांकि आईएसबीटी के यमुना घाट पर जोर शोर से टेंट लगाए जा रहे हैं. पानी का छिड़काव किया जा रहा हैं, लेकिन घाट के किनारे पानी की हालत जस की तस हैं.
हल्की-फुल्की सफाई करके बमुश्किल ही उसे साफ दिखाने की कोशिश की जा रही हैं, लेकिन सच्चाई यही हैं कि इस पानी में सिवाय गंदगी के कुछ नहीं है.
छठ पूजा समिति के सदस्य अरुण कुमार ने आज तक को बताया कि इस बार मनीष सिसोदिया, मनोज तिवारी हर किसी से शिकायत की गई, लेकिन शिकायत के बावजूद यमुना नदी के पानी की साफ-सफाई में कोई अंतर नहीं दिख रहा है.
आपको बता दें कि दिल्ली सरकार ने ये विश्वास दिलाया था कि छठ से पहले यमुना में हरियाणा से पानी छोड़ा जाएगा, ताकि यमुना साफ हो जाये और थोड़ा पानी भी बढ़ जाये. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
आईएसबीटी के अलावा, आईटीओ, वजीराबाद आदि हर घाट की यही कहानी है. न घाट पर सफाई है, न यमुना में पानी है. अब ऐसे में छठ श्रद्धालुओं को इस बार भी गंदे किनारे वाले घाट और काले पानी वाली यमुना के साथ ही छठ पर्व मनाना होगा.