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दिल्‍ली: इस शमशान घाट से गायब हो रही बच्‍चों की लाशें, क्‍या है माजरा

दिल्ली में गीता कालोनी के पास ही एक शमशान घाट है. हिंदू समाज में पांच साल तक के बच्चे के शव को जलाया नहीं जाता, इसीलिए उन्‍हें दफना दिया जाता है.

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गीता कालोनी के पास का एक शमशान घाट
गीता कालोनी के पास का एक शमशान घाट

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दिल्ली में गीता कालोनी के नज़दीक एक शमशान घाट पर अजीबो ग़रीब मामला सामने आ रहा है. दरअसल जहां बच्चों को दफ़नाया जाता है, उस क़ब्र से बच्चों की लाशें गायब हो रही हैं. यहां काम करने वाले लोगों का कहना है कि कुत्ते क़ब्र खोद कर लाशें ले जाते हैं.

दिल्ली में गीता कालोनी के पास ही एक शमशान घाट है. हिंदू समाज में पांच साल तक के बच्चे के शव को जलाया नहीं जाता, इसीलिए उन्‍हें दफना दिया जाता है.

इस शमशान घाट में ऐसे ही बच्‍चों के शवों को दफनाया जाता रहा है. इसी के चलते इस घाट को बच्चों वाला घाट भी कहते हैं. मगर इस बच्चों वाले घाट से कब्र से बच्चों की लाशें ग़ायब हो रही हैं.

यहां काम करने वाले रामू का कहना है कि हम क्या करें यहां से कुत्ते कब्र खोदकर लाश ले जाते हैं. हम कई बार यहां से कुत्तों को भगा देते हैं.

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जब हमारी टीम ने इस घाट का दौरा किया तब यहां कई कुत्ते दिखाई दिए. साथ ही यहां कुलदीप वोहरा नाम के एक शख़्स भी मिले जिनके घर के बच्चे को यहां दफ़नाया गया था, लेकिन अब उनके बच्चे की लाश उस क़ब्र में नहीं है. इनका नाम है.

कुलदीप वोहरा ने बताया, इनके बड़े भाई के यहां धनतेरस के दिन बेटी पैदा हुई थी. लेकिन बीमारी के कारण बच्ची की मौत हो गयी. बच्ची को यमुना किनारे दफ़नाया गया. लेकिन जैसे ही अगले दिन उनका परिवार फूल माला चढ़ाने क़ब्र पर पहुंचा तो क़ब्र खुदी हुई थी. परिवार वालों का कहना है कि ये कोई कुत्तों का काम नहीं था, बल्कि हमें लगता है किसी तांत्रिक ने लाश ग़ायब कर दी.

जब हमने इस मामले पर शमशान घाट की कमिटी से बात की तो उनका कहना था कि हमारे कर्मचारियों ने यहां किसी तांत्रिक को आते-जाते नहीं देखा. वहीं, पिछले 6 महीने से यहां लाशों को दफ़नाना बैन कर दिया गया है.

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