दिल्ली सरकार में मुख्य सचिव नरेश कुमार की मुश्किलें बढ़ गई हैं. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को विजिलेंस विभाग की रिपोर्ट को उपराज्यपाल के पास भेज दिया है और सीएम को तुरंत पद से हटाने और सस्पेंड करने की सिफारिश की है. केजरीवाल ने विजिलेंस विभाग की मंत्री आतिशी को ये रिपोर्ट CBI और ED को भी भेजने के आदेश दिए हैं. फिलहाल, अब LG के पाले में गेंद हैं. आगे वही फैसला लेंगे.
बता दें कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पास द्वारका एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट में भूमि अधिग्रहण को लेकर अनियमितता बरतने जाने की शिकायत की गई थी. इस मामले में केजरीवाल ने सतर्कता मंत्री आतिशी सिंह को जांच करने का निर्देश दिया था. आरोप लगाया गया कि मुख्य सचिव नरेश कुमार के बेटे को एक ऐसे व्यक्ति के रिश्तेदार ने नौकरी पर रखा है, जिसे एक सड़क परियोजना के लिए अधिग्रहीत जमीन के लिए बढ़ा हुआ मुआवजा दिया गया. दरअसल, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा अधिग्रहित की जा रही बामनोली में 19 एकड़ जमीन की कीमत इस साल मई में तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट (दक्षिण पश्चिम) हेमंत कुमार ने 41 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 353 करोड़ रुपये कर दी थी. बाद में इस मामले में गृह मंत्रालय ने हेमंत कुमार को निलंबित कर दिया था.
'सीएम ने रिपोर्ट एलजी को भेजी'
केजरीवाल सरकार में विजिलेंस मंत्री आतिशी सिंह ने शुरुआती जांच के बाद मंगलवार को मुख्यमंत्री को 650 पेज की प्राथमिक रिपोर्ट सौंप दी थी. इस रिपोर्ट में चीफ सेक्रेटरी पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं. सूत्रों का कहना है कि मंत्री की रिपोर्ट में सीएस पर अपने बेटे को गलत फायदा पहुंचाने का आरोपी पाया गया है. अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विजिलेंस मिनिस्टर आतिशी की रिपोर्ट LG को भेज दी है. उन्होंने चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार को तुरंत पद से हटाने और सस्पेंड करने की सिफारिश की. CM ने आतिशी को ये रिपोर्ट CBI और ED को भेजने के आदेश दिए.
'850 करोड़ का गलत फायदा उठाने का आरोप'
सूत्रों ने बताया कि आतिशी ने 650 पेजों की रिपोर्ट केजरीवाल को सौंपी थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस केस में 850 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ कमाया गया. यह जमीन 2015 में द्वारका एक्सप्रेसवे के पास सिर्फ 75 लाख रुपये में खरीदी गई थी. केजरीवाल ने आतिशी से शिकायत की जांच कराने को कहा था. विजिलेंस विभाग की जांच में पाया गया कि प्रथम दृष्टया चीफ सेक्रेटरी ने बेटे की कंपनी को 850 करोड़ का नाजायज फायदा पहुंचाया है.
'बेटे की अन्य कंपनियों को भी ठेके देने का आरोप'
सूत्रों का कहना है कि कंपनी ने द्वारका एक्सप्रेसवे के पास 2015 में ये जमीन मात्र 75 लाख में खरीदी थी. अब महंगे रेट पर भूमि अधिग्रहण हुआ है. कंपनी को 850 करोड़ का गलत फायदा हुआ. चीफ सेक्रेटरी ने बेटे की कई अन्य कंपनियां को भी सरकारी ठेके दिये. इन कंपनियों की भी जांच होगी.
'सीएस के बचाव में उतरे सीनियर आईएएस अफसर'
दिल्ली सरकार के मंडलायुक्त अश्विनी कुमार ने सोमवार को शहर के शीर्ष अधिकारियों का बचाव करने के लिए एक प्रेस वार्ता आयोजित की. उन्होंने भूमि अधिग्रहण मुआवजा मामले में मुख्य सचिव नरेश कुमार के खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार बताए और और इसे 'गंदी राजनीति' का हिस्सा करार दिया. संभागीय आयुक्त ने दावा किया कि मुख्य सचिव के खिलाफ लगाए जा रहे आरोपों का उद्देश्य उनका चरित्र हनन करना है. क्योंकि वो भ्रष्टाचार के मामलों में सक्रिय रूप से कार्रवाई कर रहे हैं.
'नौकरशाहों से झगड़ा खुलकर सामने आया'
दिल्ली सरकार के सूत्रों ने बताया कि अश्विनी कुमार के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. क्योंकि इस तरह की प्रेस वार्ता आयोजित करना अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1968 का उल्लंघन है. अश्विनी कुमार अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) भी हैं और दिल्ली के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (एनसीसीएसए) के सचिव के रूप में कार्यरत हैं. उनके इस कदम ने दिल्ली के नौकरशाहों और AAP के बीच चल रहे झगड़े को खुलकर सामने ला दिया.
'मुख्य सचिव की छवि खराब करने की कोशिश'
अश्विनी कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने को सही ठहराया और कहा, मुख्य सचिव की छवि खराब करने के लिए बहुत सारी 'अफवाहें और झूठ' फैलाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा, पूरे मामले की जांच होनी चाहिए और मुख्य सचिव पर लगाए गए आरोप निराधार हैं और इसका उद्देश्य चरित्र हनन करना है. उन्होंने यह भी कहा कि मामला मई में सामने आया और तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट हेमंत कुमार के खिलाफ कार्रवाई की गई. मुख्य सचिव के खिलाफ शिकायत हेमंत कुमार को बचाने की एक 'ध्यान भटकाने वाली रणनीति' है. अश्विनी कुमार ने कहा, उनके (मुख्य सचिव) कार्यकाल को बढ़ाए जाने की चर्चा है और यह उनकी छवि खराब करने का एक प्रयास है. उनके खिलाफ सभी आरोप निराधार, अपमानजनक हैं. उन्होंने पूछा कि क्या मुख्य सचिव के खिलाफ कोई सबूत है?
अश्विनी कुमार ने कथित शराब घोटाले और दिल्ली जल बोर्ड मामलों समेत विभिन्न भ्रष्टाचार के मामलों का हवाला दिया और कहा, शिकायत गंदी राजनीति का हिस्सा है. कीचड़ उछालने का प्रयास है, क्योंकि भूमि मालिकों और मुख्य सचिव के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है.
'सेवा आचरण के खिलाफ है प्रेस कॉन्फ्रेंस करना'
सरकारी सूत्रों ने कहा कि अश्विनी कुमार का मुख्य सचिव का बचाव करना दर्शाता है कि वह भी कथित घोटाले में शामिल हो सकते हैं. यह बेहद अजीब है कि एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राजस्व सचिव अश्विनी कुमार, एक अन्य वरिष्ठ आईएएस अधिकारी मुख्य सचिव नरेश कुमार के कार्यों का बचाव करते हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं, जिनके खिलाफ अभी जांच शुरू हुई है. एक सूत्र ने कहा, इस तरह की प्रेस बातचीत अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1968 का उल्लंघन है और अधिकारी के खिलाफ कानून के अनुसार उचित कार्रवाई की जा सकती है. सूत्र ने कहा, सुचारू जांच में मदद करने और सच्चाई सामने आने देने के बजाय अश्विनी कुमार के कार्यों से पता चलता है कि वो भी कथित घोटाले में शामिल हो सकते हैं और खुद और मुख्य सचिव दोनों का बचाव करने की कोशिश कर रहे हैं.
'अधिग्रहीत जमीन का मुआवजा बढ़ाकर दिया'
पीटीआई के मुताबिक, आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि शिकायत में आरोप लगाया गया है कि मुख्य सचिव के बेटे को एक लैंड ऑनर के रिश्तेदार ने नौकरी पर रखा था, जिसे एक सड़क परियोजना के लिए अधिग्रहीत जमीन का बढ़ा हुआ मुआवजा मिला था. अधिकारियों ने कहा कि आतिशी ने संभागीय आयुक्त और सतर्कता निदेशक को बामनोली भूमि अधिग्रहण से संबंधित सभी फाइलें शनिवार शाम 7 बजे तक उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था. सूत्रों ने कहा कि सतर्कता निदेशालय ने मंत्री के एक नोट के जवाब में 2021 के सतर्कता मैनुअल समेत विभिन्न दिशा-निर्देशों का हवाला दिया और बताया कि उनके पास इस मामले की जांच करने का कोई अधिकार नहीं है, जिसकी जांच पहले से ही केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की तरफ से की जा रही है. हालांकि, सूत्रों ने बताया कि मंत्री को मामले से संबंधित सतर्कता निदेशालय की सभी फाइलों की प्रमाणित प्रति दे दी गई है. निदेशालय ने मंत्री से शिकायत की प्रति भी मांगी है ताकि मुख्य सतर्कता आयोग के निर्देशों के अनुरूप इसकी जांच की जा सके.
मजदूरों के परिवारों ने किया हंगामा
इतना ही नहीं, पहले अफसरों ने बुधवार को ऑपरेशन पूरा होने का दावा किया था. लेकिन, अब रेस्क्यू में परेशानी आने से समय बताने से बच रहे हैं. एनएचआईडीसीएल के अधिकारी ने ऑपरेशन में दिक्कतें बताईं हैं और कहा, ऑपरेशन पूरा करने की कोई समय सीमा नहीं बता सकते हैं. वहीं, सुरंग के बाहर इस परियोजना के लिए काम कर रहे मजदूरों ने काफी हंगामा किया. ये लोग सुरंग के भीतर घुसने की कोशिश कर रहे थे. पुलिस और सुरक्षा बलों ने रोकने की कोशिश की. मजदूरों का आरोप है कि रेस्क्यू ऑपरेशन बेहद ही धीमी रफ्तार से चल रहा है. चार दिन बाद भी कामयाबी नहीं मिल पाई है. कई मजदूरों के भाई और परिवार के लोग अंदर फंसे हुए हैं.