दिल्ली नगर निगम में मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों के चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को पत्र लिखा है. अपने पत्र में उन्होंने एमसीडी में नामित किए गए 10 सदस्यों के नामांकन असंवैधानिक बताते हुए पुनर्विचार करने की अपील की है.
सीएम केजरीवाल ने पत्र में कहा है कि एमसीडी में होने वाले नॉमिनेशन दिल्ली के शहरी विकास मंत्री के जरिए भेजे जाते हैं, लेकिन एमसीडी के कमिश्नर ने फाइलें सीधे LG को भेज दी हैं. इसलिए आपसे (LG) विनती है कि इन नामांकनों पर संविधान और सुप्रीम कोर्ट की ओर से निर्धारित कानून और प्रक्रिया के मुताबिक पुनर्विचार किया जाए.
केजरीवाल ने आगे कहा,'दिल्ली सरकार के दिन-प्रतिदिन के प्रशासनिक कामकाज में हस्तक्षेप और बाधित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है. केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी की मदद करने और स्थायी समिति के चुनावों को प्रभावित करने के लिए पार्षदों को असंवैधानिक रूप से मनोनीत कर जनादेश को नकारने की कोशिश की गई है. स्थानीय निकाय एक ट्रांसफर सब्जेक्ट है. इस पर मैं आपसे संवैधानिक रूप से मंत्री परिषद की सहायता और सलाह के मुताबिक कार्य करने अपील करता हूं.
सीएम अरविंद केजरीवाल ने LG को लिखे पत्र में कहा है कि मैं दिल्ली गैजेट में प्रकाशित शीर्षक अधिसूचना की पृष्ठभूमि में आपको पत्र लिखने के लिए विवश हूं, जिसमें दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 की धारा 3(3)(बी)(आई) के तहत शक्तियों का कथित प्रयोग कर दिल्ली की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार की मंत्रिपरिषद को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए 10 व्यक्तियों को नगर निगम के सदस्य के रूप में नामित किया गया है.
सीएम अरविंद केजरीवाल ने पत्र में कहा है कि मुझे बहुत दुख के साथ यह कहना पड़ रहा है कि दिल्ली सरकार का मुख्यमंत्री होने के बावजूद मुझे आपसे इस प्रकार की कार्रवाई को सूचित करते हुए लिखना पड़ रहा है. हाल के दिनों में इस तरह का व्यवहार बार-बार किया जाता रहा है. दिल्ली सरकार के दिन-प्रतिदिन के प्रशासनिक कामकाज में हस्तक्षेप और बाधित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है.
उन्होंने आगे कहा कि इस तरह की कार्रवाई घोर असंवैधानिक है और संविधान के प्रति एक धोखाधड़ी के समान है. यह कार्यवाही बहुत ही चिंतित करने वाली है, क्योंकि यह संविधान और सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ द्वारा निर्धारित किए गए कानूनों और दिल्ली सरकार के कामकाज की स्थापित प्रक्रिया और परम्परा की भी अनदेखी करता है.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस पत्र के जरिए चुनी हुई दिल्ली सरकार को बार-बार दरकिनार करने का भी मुद्दा उठाया. उन्होंने पत्र में कहा है कि आमतौर पर इस तरह के नामांकनों की फाइल शहरी विकास मंत्री के कार्यालय, जो कि एमसीडी का नोडल विभाग है, उसके जरिए ही भेजी जाती है.
सीएम ने कहा कि पहले ऐसी फाइलों को शहरी विकास मंत्री के सामने प्रस्तुत किया जाता रहा है, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हाल के दिनों में इस स्थापित परंपरा को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए इन फाइलों को एमसीडी के कमिश्नर के जरिए सीधे एलजी को भिजवाया गया, जोकि कानून और संविधान का पूरी तरह से उल्लंघन है.
सीएम अरविंद केजरीवाल ने पत्र में आगे कहा है कि वर्तमान में इन सदस्यों के नामांकन द्वारा नगर निगम की स्थायी समिति के चुनाव की प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास प्रतीत होता है. यह ध्यान देना जरूरी है कि इन 10 सदस्यों को जानबूझकर नगर निगम के कुल 12 में से सिर्फ 3 क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया है, जबकि स्थायी समिति के 1 सदस्य को प्रत्येक क्षेत्र से चुना जाता है.
उन्होंने आगे कहा है कि ऐसे में वर्तमान मनोनयन से स्पष्ट प्रतीत होता है कि नगर निगम की संरचना केंद्र में सत्ताधारी पार्टी के प्रति निष्ठा रखने वाले व्यक्तियों के पक्ष में झुकी हुई है और इस तरह हाल ही में संपन्न नगर निगमों के चुनावों में मतदाताओं के जनादेश को नकारा गया है. सीएम ने कहा है कि एमसीडी अधिनियम के हालिया संशोधन में भी नगर निगम में नामांकन की स्थापित परंपरा में किसी तरह की बदलाव का कोई उल्लेख नहीं हैं.
सीएम केजरीवाल ने पत्र में कहा है कि स्थानीय निकाय एक ‘हस्तांतरित विषय’ है, जिस पर लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार के पास विधायी और कार्यकारी निर्णय लेने का अधिकार और क्षेत्राधिकार है. ऐसे विषयों के संबंध में एलजी को संवैधानिक रूप से मंत्रिपरिषद द्वारा दी गई सहायता और सलाह के अनुसार कार्य करने की आवश्यक है. इस स्थिति को राज्य (एनसीटी दिल्ली) बनाम भारत संघ (2018) में संविधान पीठ के निर्णय द्वारा भी आधिकारिक रूप से तय किया गया है. इसलिए आपसे एक बार फिर संवैधानिक प्रावधानों, माननीय सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ द्वारा दी गई व्यवस्था के साथ-साथ पिछले अभ्यास और परंपरा के संबंध में आपके द्वारा किए गए नामांकन पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करता हूं.