दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और उप राज्यपाल के बीच लंबे समय से चल रही जंग पर शीर्ष अदालत का ऐतिहासिक फैसला आ गया है. इस फैसले को आम आदमी पार्टी अपनी बड़ी जीत मान रही है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के फौरन बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे जनता और लोकतंत्र की बड़ी जीत करार दिया है.
केजरीवाल ने ट्वीट किया, 'दिल्ली की जनता की बड़ी जीत.....लोकतंत्र की बड़ी जीत.' इसके अलावा दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि जिस तरह दिल्ली की चुनी हुई सरकार के काम पर अड़ंगा लगाया जा रहा था, वो खत्म हो गया है. इसके लिए हम दिल्ली की जनता की ओर से सुप्रीम कोर्ट का आभार जताते हैं. उन्होंने कहा कि अब दिल्ली सरकार को अपनी फाइलें उप राज्यपाल के पास भेजने की जरूरत नहीं होगा. उप राज्यपाल को कैबिनेट के फैसले को मानना ही होगा. ट्रांसफर और पोस्टिंग सरकार ही करेगी.
A big victory for the people of Delhi...a big victory for democracy...
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) July 4, 2018
उन्होंने कहा कि उप राज्यपाल के अड़ंगेबाजी के चलते जनता के काम लटके हुए थे. अब उप राज्यपाल की मनमानी की संभावना खत्म हो गई है और दिल्ली सरकार सही तरीके से अपने काम कर पाएगी. उन्होंने कहा कि इससे पहले मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उप राज्यपाल दिल्ली में फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं. एलजी को कैबिनेट की सलाह के अनुसार ही काम करना होगा. इस बीच उन्होंने यह भी कहा कि पूर्ण राज्य के दर्जे पर आंदोलन जारी रहेगा.
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना मुमकिन नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ है कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार ही राज्य को चलाने के लिए जिम्मेदार है. फैसले के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी ट्वीट कर खुशी जता दी है, उन्होंने कहा है कि दिल्ली में लोकतंत्र की जीत हुई है.
मामले में सुप्रीम कोर्ट के वकील और आम आदमी पार्टी के नेता सोमनाथ भारती ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ हो गया है कि संवैधानिक अधिकार दिल्ली सरकार को ही दिए गए हैं. इन्हीं अधिकारों को रिस्टोर किया गया है. संविधान कहता है कि पुलिस, जमीन और कानून व्यवस्था को छोड़कर दिल्ली सरकार सभी मामलों पर फैसले लेगी. अभी तक जिन कामों पर अड़ंगेबाजी होती थी, उन पर अब रोक लग गई है.'
शीला दीक्षित बोलीं- मिलकर करने से बनेगी बात
वहीं, कांग्रेस नेता और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा, 'काम चाहे उप राज्यपाल के नियंत्रण में आए या फिर मुख्यमंत्री के नियंत्रण में. लेकिन मिलकर काम करना होगा. वरना मतभेद की स्थिति में काम नहीं किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने संविधान में दिए गए प्रावधानों को ही दोहराया है. उप राज्यपाल और मुख्यमंत्री के पद जिम्मेदारी के हैं. जब दिल्ली में हमारी सरकार थी, तब भी मतभेद होते थे, लेकिन हम मिलकर सुलझा लेते थे. कभी उप राज्यपाल झुक जाते थे और कभी हम झुक जाते थे.'
BJP ने बताया- केजरीवाल को झटका
इस फैसले को बीजेपी ने केजरीवाल सरकार के लिए झटका बताया है. मामले में बीजेपी नेता विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर ही मुहर लगाई है. इससे एक बार फिर साफ हो गया है कि पुलिस, जमीन और कानून व्यवस्था के मामले पर उप राज्यपाल का पूरा नियंत्रण हैं. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उप राज्यपाल खुद आदेश नहीं निकालते हैं. वो दिल्ली सरकार के फैसले पर ही मुहर लगाते हैं. इस फैसले में यही कहा गया है कि उप राज्यपाल ही दिल्ली सरकार के फैसले पर मुहर लगाएंगे. इस फैसले को अपनी जीत बताकर आम आदमी पार्टी लोगों को गुमराह कर रही है.