scorecardresearch
 

तुलना 2 बराबर वालों में होती है: कपिल मिश्रा

आशुतोष ने शुक्रवार को ब्लॉग लिखकर बर्खास्त मंत्री संदीप कुमार का बचाव किया था. ऐसे में आम आदमी पार्टी की तरफ से आज भी ब्लॉग लिखा गया. गांधी का भी जिक्र हुआ, मगर गांधी को पर्दा न बनाया जाए ऐसा कहा गया.

Advertisement
X
आप नेता, आशुतोष और कपिल मिश्रा
आप नेता, आशुतोष और कपिल मिश्रा

Advertisement

आशुतोष ने शुक्रवार को ब्लॉग लिखकर बर्खास्त मंत्री संदीप कुमार का बचाव किया था. ऐसे में आम आदमी पार्टी की तरफ से आज भी ब्लॉग लिखा गया. गांधी का भी जिक्र हुआ, मगर गांधी को पर्दा न बनाया जाए ऐसा कहा गया. दिल्ली के कैबिनेट मंत्री कपिल मिश्रा ने ब्लॉग लिखा और की आजतक से खास बातचीत में कहा 'मुझे लगता है बापू पर्दा नहीं हैं, कि बचा जाए, आशुतोष भाई ने अपने निजी विचार रखे हैं. मैंने अपने निजी रखें हैं.' कपिल ने कहा कि बापू बहुत गहरी चीज हैं, इन्हें अभी और पढ़ने की और समझने की जरूरत है.

यह लिखा था मंत्री कपिल मिश्रा ने ब्लॉग में
बा और बापू का सम्बन्ध समझना आसान नहीं है. बा के बिना बापू संभव ही नहीं. बा ने कुछ पत्र भी लिखे बापू को, उनको पढ़े तो शायद प्रेम और प्यार की अलग ही समझ शुरू हो जाए. आज अचानक किसी बात को सीधे बापू से जोड़ देना, उनके जीवन के किसी एक पक्ष से जोड़ देना आसान जरूर है पर सही नहीं.

बापू को समझने के लिए कई जीवन चाहिए
उस ऐनक, लाठी, धोती वाले महात्मा के जीवन से सीखने के लिए भी कई जीवन चाहिए. बा जैसा समर्पण व प्रेम. ये सब शांत चित्त से सोचने, मनन करने के लिए है. अभी कुछ दिन पहले मैं साबरमती आश्रम गया था, बापू के जीवन के बारे में लिखा है वहां, उनकी बातें, उनके लेख, उनके सत्याग्रह, जीवन में, अपने अंदर सत्य के लिए आग्रह. खुद के अंदर अहिंसा का भाव. बापू सिर्फ अंग्रेजो से थोड़ी आजादी दिलाने आए थे, वो जिस स्वराज, सत्य व अहिंसा की बात करते थे. वो अपनानी इतनी मुश्किल थी कि हमने बापू को ही छोड़ दिया. जिन्होंने बापू को मारा वो किस बात से डरते थे ? क्या ताकत थी उस बूढ़े में कि गोडसे जैसे को लगा कि खतम ही करना पड़ेगा ?

Advertisement

बापू से सीखने की जरुरत
एक मुट्ठी नमक से दुनिया के बादशाहों को हिलाने के लिए जो नैतिक, आध्यात्मिक, सामाजिक शक्ति व स्वीकृति बापू के पास थी वो नकली हों ही नहीं सकती. बापू के जीवन से तुलना तब की जाए जब ऐसा तराजू हो जो नाप सके, तौल सके. बापू ने तो एक बच्चे को ज्यादा गुड़ मत खाओ ये कहने में भी दस दिन लगा दिए, क्योंकि पहले खुद ज्यादा गुड़ खाने की आदत पर संयम किया फिर सीख दी.

दुसरो पर जय से पहले खुद को जय करना. बापू तो कुंजी है, चाबी है, दुविधा दूर करने के लिए है. बापू पर्दा नहीं है. ढंकने और छिपाने के लिए बापू नहीं है. ईश्वर अल्लाह तेरो नाम,सबको सन्मति दे भगवान.

 

Advertisement
Advertisement