scorecardresearch
 

एमसीडी चुनाव से पहले हिली दिग्गजों की कुर्सियां

दिल्ली की अंबडेकर नगर विस क्षेत्र में अंबेडकर नगर वार्ड खत्म कर इसके क्षेत्र को पुष्प विहार में जोड़ दिया गया है. इससे पार्षद एम नागराजन की सीट खत्म हो गई है. इस सीट पर अब बीजेपी के दो पार्षदों की दावेदारी है लेकिन इस सीट से मौजूदा पार्षद खुशी राम अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं.

Advertisement
X
परिसीमन के बाद बदले चुनावी समीकरण
परिसीमन के बाद बदले चुनावी समीकरण

Advertisement

दिल्ली में एमसीडी चुनाव से पहले हुए परिसीमन में कई दिग्गजों के वार्ड ही खत्म हो गए तो कई पार्षदों के वार्ड बदल दिए गए हैं. वहीं कुछ नेताओं का तो चुनावी क्षेत्र ही बदल ही गया है. परिसीमन ने वार्डों के चुनावी समीकरण को पुरी तरह से बदल कर रख दिया है. भले ही वार्डों की संख्या में तो बदलाव नहीं किया गया है लेकिन कई दिग्गजों की कुर्सियां हिल गई हैं किसी का वार्ड ही खत्म हो गया है तो किसी क्षेत्र में इतना ज्यादा बदलाव कर दिया गया है जिससे चुनावी समीकरण भी बदल गए हैं.

परिसीमन के बाद दिल्ली बीजेपी के महासचिव रविन्द्र गुप्ता के वार्ड को ही खत्म कर दिया गया है. वहीं दिल्ली बीजेपी नेता रेखा गुप्ता का भी वार्ड खत्म कर दिया गया है. पुर्वी दिल्ली नगर निगम में स्टैडिंग कमेटी अध्यक्ष जितेन्द्र चौधरी के वार्ड का नाम ही बदल गया है यानि अब एक वार्ड पर दो पार्षद अपना दावा पेश करेंगे.

Advertisement

दिल्ली की अंबडेकर नगर विस क्षेत्र में अंबेडकर नगर वार्ड खत्म कर इसके क्षेत्र को पुष्प विहार में जोड़ दिया गया है. इससे पार्षद एम नागराजन की सीट खत्म हो गई है. इस सीट पर अब बीजेपी के दो पार्षदों की दावेदारी है लेकिन इस सीट से मौजूदा पार्षद खुशी राम अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं.

आरके पुरम विधानसभा क्षेत्र का नाम अब मुनीरका हो गया है . यहां का नानकपुरा वार्ड अब खत्म कर दिया है, जहां से स्थायी समिति के पूर्व अध्यक्ष राधे श्याम शर्मा पार्षद हैं. निजामुद्दीन वार्ड को खत्म कर इसे दरियागंज से जोड़ दिया है और इसका नाम भी दरियागंज वार्ड कर दिया गया है, यहां से नेता विपक्ष फरहाद सूरी पार्षद हैं.

दिल्ली के किशनगढ़ से पार्षद कुसुम खत्री, कांग्रेसी पार्षद नूतन कोचर, शाहपुर जट से मीनू पवार, हरिकिशन नगर से रवि कलसी, ईस्ट ऑफ कैलाश से उर्मिला, नांगलपुरा से राधिका सेतिया के वार्ड खत्म कर दिए गए हैं. बदले समीकरण से जहां पार्षदो में अभी बहुत संदेह की स्थिति है तो वहीं नए क्षेत्र में लोगों को जोड़ना एक बड़ी चुनौती है जिसको लेकर कांग्रेस हो या बीजेपी दोनों पार्टियों ने बदले समीकरण में रास्ते तलाशने शुरू कर दिए हैं.

Advertisement
Advertisement