दिल्ली सरकार के 21 संसदीय सचिवों को रक्षा कवच प्रदान करने के विरोध में कांग्रेस अदालत जाने की तैयारी कर रही है. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने सोमवार को दिल्ली सरकार पर नियमों के विरुद्ध काम करने का आरोप लगाया और केजरीवाल की जमकर आलोचना की.
अभी कुछ ही दिन बीते होंगे जब दिल्ली की आप सरकार ने अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त किया , लेकिन अब सरकार ने एक कदम आगे बढ़ते हुए बजट सत्र में संशोधित बिल पास कर दिया. इसे लेकर कांग्रेस ने एक बार फिर मोर्चा खोला है और केजरीवाल पर जमकर निशाना साधा है. माकन के मुताबिक केजरीवाल के विधायक अब और भी आगे बढ़ना चाहते हैं और इसलिए कहीं वो असंतुष्ट ना रह जाएं तो उन्होंने अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बना दिया, जो सहीं नहीं है.
माकन ने कहा कि 21 विधायकों को संसदीय सचिव चुना जाना एक तरह का भ्रष्टाचार और कानून का उल्लंघन है. विधायकों को प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव के साथ जाने से रोकने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उन्हें संसदीय सचिव बना दिया, जिससे उन्हें मंत्रियों के बराबर सुविधाएं मिल सकें. यह गैरकानूनी है और संसदीय सचिव बनने वाले विधायकों की सदस्यता रद हो सकती है, इसलिए जनहित याचिका पर फैसला आने से पहले उपराज्यपाल को इसे मंजूरी नहीं देनी चाहिए.
कांग्रेस के मुताबिक पहले कानून था कि संसदीय सचिव मुख्यमंत्री के साथ बनाए जाते थे न कि मंत्रियों के साथ. केजरीवाल सरकार ने इस कानून में संशोधन कर मुख्यमंत्री के साथ मंत्री जोड़कर इसे 14 फरवरी, 2015 से लागू कर दिया, जिससे कि उनके 21 विधायकों की सदस्यता रद्द नहीं हो सके. अब से पहले सिर्फ जनहित में ही कोई कानून पिछली तारीख से पारित हुआ है. इसलिए केजरीवाल को बताना चाहिए कि उनकी सरकार ने जो कानून पारित किया है, उसमें क्या जनहित था? नैतिकता के आधार पर इन सभी विधायकों को इस्तीफा देना चाहिए. इस संबंध में कांग्रेस ने उपराज्यपाल से मिलने का समय मांगा है.