दिल्ली के बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन जारी है. किसान आंदोलन को 100 दिन पूरे हो चुके हैं. इसे लेकर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि 100 दिन के आंदोलन में 255 मौत हुईं. एक दिन में दो से भी अधिक. लेकिन किसी ने पीएम मोदी, किसी मंत्री के मुंह से कोई संवेदना का एक शब्द भी नहीं सुना होगा. हमने भी नहीं सुना. किसानों का अपमान किया गया. उनके आंसुओं तक की हंसी उड़ाई गई. न जाने कितने किसान अभी भी दिल्ली के बॉर्डर पर सरकार के उस फोन का इंतजार कर रहे हैं, जिस फोन के लिए पीएम मोदी ने स्वंय उनसे वादा किया था.
आंदोलन का करें समर्थन
कांग्रेस नेता ने कहा कि मध्यम वर्ग का ध्यान व समर्थन किसान आंदोलन की तरफ नहीं जा पाता, जाहिर सी बात है, क्योंकि सरकार ने हमें और आपको व्यस्त रखने का तमाम इंतजाम कर रखा है. जब हम और आप अपनी ही उधेड़बुन में लगे रहेंगे, तो हम किसी और की सुध कैसे लेंगे. यह बात सरकार बहुत अच्छी तरह समझती है. इसलिए आज अगर समाज का एक बहुत महत्वपूर्ण वर्ग, किसानों का वर्ग अगर 100 दिन से आंदोलन कर रहा है, तो हमें उसका समर्थन इसलिए भी करना चाहिए कि वो वह काम कर रहे हैं, जो हम और आप, जिस आपाधापी में जी रहे हैं, हम नहीं कर पाते. अगर हम अपने घर की किश्तें भरने में संघर्ष कर रहे हैं, अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, अपनी नौकरी ढूंढने के लिए या बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. पेट्रोल-डीजल, एलपीजी गैस, प्याज, खाद्य तेल, तमाम कीमतें बढ़ रही हैं, उससे हम संघर्ष कर रहे हैं. तो एक वर्ग ऐसा है जो आपके और मेरे संघर्ष को सड़क पर लाया है. सिर्फ एक काम हमें करना है कि उस संघर्ष का सम्मान करें, उसका समर्थन करें, तो इस देश पर और इस लोकतंत्र पर आप सबकी बहुत बड़ी कृपा होगी.
लोगों के मन में आक्रोश
उन्होंने कहा कि आज सरकार की नीतियों के खिलाफ कई लोगों के मन में आक्रोश है. अलग-अलग वर्ग हैं, व्यापारी वर्ग है. महिला सुरक्षा को लेकर हम आंदोलित हैं, लेकिन कुछ नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि जैसा कि कहा हम आपाधापी में लगे हुए हैं. तो कम से कम संवेदना तो है आपके मन में, हम सबके मन में, पीड़ा भी है. हां, अभाव है तो समय का. तो किसी एक वर्ग ने वो समय निकाला है. सरकार के कानों पर जूं नहीं रेंग रही, वो हम सब देख रहे हैं. टीकरी बॉर्डर हो, सिंधु बॉर्डर हो, गाजीपुर हो, शाहजहांपुर हो, सब जगह एक वर्ग बैठा है, अडिग है और संघर्ष कर रहा है. उसको कोई फर्क नहीं पड़ रहा है. उसके खिलाफ क्या षडयंत्र रचे जा रहे हैं. कैसे उसका अपमान करने की चेष्ठा की जा रही है, वो फिर भी वहीं डटे हुए हैं.
काला दिवस मनाने का आह्वान
उन्होंने कहा कि आज काला दिन मनाने का किसानों ने आह्वान किया है. ये काला अध्याय है, हमारे लोकतंत्र के इतिहास में. आदोंलन पहले भी बहुत हुए, हर सरकार में हुए. जब राजीव गांधी की सरकार थी, वोट क्लब पर किसान जमा हो गए थे, लाखों किसान थे. इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि में बहुत बड़ा कार्यक्रम यहीं होना था, वोट क्लब पर. राजीव गांधी ने वो कार्यक्रम का स्थान बदला, किसानों को नहीं हटाया. सरकारें ऐसे ही चलती हैं. उन्होंने कहा कि जनता से उम्मीद है कि अपना समर्थन किसानों को जरूर देगी.