एक के बाद एक नेताओं के पार्टी छोड़ने से बेजार कांग्रेस को एक और झटका लगा है. कांग्रेस से एक और विकेट गिरा है. कांग्रेस के सीनियर नेता पीसी चाको ने इस्तीफा दे दिया है. खुद पीसी चाको ने इसका ऐलान करते हुए कहा है कि मैंने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी है और अपना इस्तीफा पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेज दिया है.
इस्तीफे के ऐलान के बाद चाको ने कहा कि केरल कांग्रेस की टीम के साथ काम करना मुश्किल है. चाको ने केरल के विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण को लेकर भी नाराजगी जताई. पीसी चाको ने टिकट वितरण को लेकर कहा कि किसी नियम का पालन नहीं किया गया. चाको ने अपना इस्तीफा कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेज दिया है.
कांग्रेस छोड़ने के बाद पीसी चाको ने कहा कि मैंने सोनिया गांधी और राहुल गांधी को इसकी जानकारी दे दी है. मैं केरल में काम कर रहा हूं, लेकिन पार्टी यहां दो धड़ों में काम कर रही है. उन्होंने आपस में ही सभी सीटों को बांट लिया है.
चाको ने कहा कि केरल में कांग्रेस पार्टी का कोई भविष्य नहीं बचा है. क्योंकि यहां आंतरिक लोकतंत्र नहीं है. सोनिया गांधी और राहुल गांधी अच्छी तरह से जानते हैं. उन दोनों ने गुटबाजी दूर करने के लिए कहा था लेकिन उनकी सलाह के बावजूद यह जारी है. कोई चुनाव समिति, कोई चयन पैनल नहीं, अधिकांश लोगों को पता नहीं है कि केंद्रीय चुनाव समिति में क्या चर्चा करना हैं.
चाको ने कहा कि G23 द्वारा उठाए गए मुद्दों पर गौर किया जाना चाहिए. उन्होंने नेतृत्व पर सवाल नहीं खड़े किये थे. कल क्या होगा कोई नहीं बता सकता.
वरिष्ठ नेता पीसी चाको के इस्तीफे को चुनावी मौसम में कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. चाको, केरल की त्रिशुर संसदीय सीट का लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने पीसी चाको को दिल्ली का प्रभारी बनाया था. हालांकि, विधानसभा चुनाव में हार के बाद पीसी चाको ने कांग्रेस के दिल्ली प्रभारी पद से इस्तीफा दे दिया था.
गौरतलब है कि पीसी चाको ने तब यह कह दिया था कि दिल्ली में कांग्रेस के पतन की शुरुआत उसी समय हो गई थी, जब 2013 में शीला दीक्षित मुख्यमंत्री थीं और आम आदमी पार्टी का उदय हुआ था. उनके इस बयान को लेकर काफी विवाद भी हुआ था. चाको ने ऐसे समय समय इस्तीफा दिया है, जब केरल में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं.
बता दें कि केरल के कोट्टायम जिले में जन्में पीसी चाको ने केरला स्टूडेंट यूनियन के जरिए राजनीति में कदम रखा था. वे साल 1980 में पिरावम विधानसभा सीट से पहली बार केरल विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा. बतौर विधायक अपने पहले ही कार्यकाल में केरल की ईके नायर सरकार में मंत्री बने चाको टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले की जांच के लिए बनी संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष भी रहे.