दिल्ली में कोरोना की रफ्तार बेकाबू हो चुकी है. अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की कमी के कई मामले सामने आ रहे हैं. हालांकि, केजरीवाल सरकार दावा कर रही है कि दिल्ली में 5000 बेड खाली पड़े हैं, लेकिन जब 'आजतक' ने इसकी पड़ताल की तो सच्चाई कुछ और ही निकली. हमारे दो संवाददाताओं जमेशद खान और नितिन जैन ने दिल्ली सरकार के अधीन आने वाले तीन बड़े अस्पतालों में जाकर पड़ताल की तो जो पाया वो वाकई में बहुत परेशान कर देने वाला था.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कल यानी गुरुवार को दोपहर 1 बजे दावा किया कि दिल्ली में कोविड के मरीजों के लिए 5000 बेड खाली है. ठीक उसी वक्त आजतक की स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम भी दिल्ली के दूसरे बड़े कोविड डेजिगनेटिड अस्पताल गुरु तेग बहादुर यानी जीटीबी में ज़मीनी हकीकत का ज़ायजा लेने पहुंची.
हमारे अंडर कवर रिपोर्टर ने एक कोविड मरीज को भर्ती करवाने के नाम पर बेड की वेकेंसी जाने कि कोशिश की. काफी पूछताछ के बाद पता चला कि इमरजेंसी में ही पता चलेगा कि बेड खाली है या नहीं, रिपोर्टर ने इमरजेंसी में जाकर बताया कि उनकी माताजी कोविड पॉजिटिव हैं और सांस लेने में तकलीफ है, तबीयत खराब है.
रिपोर्टर- मेरी मदर की कोविड पॉजिटिव हैं, बेड है? क्या मैं लेकर आऊं?
नर्स- नेगेटिव है तो यहां पर नहीं है.
रिपोर्टर- पॉजिटिव हैं.
नर्स- पॉजिटिव है.. बेड तो है ही नहीं.
रिपोर्टर- बेड नहीं है खाली?
डॉक्टर- बेड नहीं है यहां खाली.
रिपोर्टर- बेड नहीं है, एप में तो दिखा रहा था खाली.
डॉक्टर- आगे पूछ लो... इमरजेंसी भरा हुआ है, देख लो
रिपोर्टर- डॉक्टर साहब आप बताओ में क्या करुं?
डॉक्टर- आप बताओ में क्या करुं..
रिपोर्टर- एप ( दिल्ली सरकार का कोविड एप) तो यहां दिखा रहा है
डॉक्टर- नहीं है तो मैं क्या करुं..यहां एक पेशेन्ट पड़ा हुआ कल शाम 7 बजे से..
रिपोर्टर- कल शाम सात बजे से पड़ा हुआ है
डॉक्टर-कल शाम सात बजे से पड़ा हुआ है. बेड के लिए, नहीं है
रिपोर्टर- जीटीबी में बेड नहीं है?
डॉक्टर- बेड नहीं है.
दिल्ली सरकार के एप के मुताबिक, उस वक्त जीटीबी अस्पताल में 1500 में से 1170 बेड खाली है. वहीं एक और कोविड डेडिकेटिड राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में 650 से 308 बेड खाली है. अब हमने राजीव गांधी अस्पताल का रुख किया. पहले तो अस्पताल में साफतौर पर कोई ये नहीं बता पर रहा था कि कहां कोविड पॉजिटिव मरीज का दाखिला होता है.
किसी तरह से रिपोर्टर वहां पहुंचा. दाखिले की खिड़की पर लंबी लाइन लगी हुई थी. अस्पताल के रेड ज़ोन में सोशल डिस्टेसिंग नहीं है. सब हताश-परेशान है कि किसी तरह उनके कोविड पॉजिटिव मरीज को अस्पताल में एक अदद बेड मिल जाए.
रिपोर्टर- मेरी मदर बीमार है, सांस की प्रॉब्लम हो रही है, कोविड पॉजिटिव हैं.
डॉक्टर- सर आप बाहर से बात कीजिए है.
रिपोर्टर- बेड है ?
डॉक्टर- बेड नहीं है, आप बाहर से बात कीजिए, बेड नहीं है, डॉक्टर जो हैं, वो पेशेंन्ट देखने गए है, मैं भी डॉक्टर हूं, मेरा यहां ड्यूटी नहीं है.
रिपोर्टर- बेड है या नहीं ?
डॉक्टर- बेड नहीं है..मै भी यहां बेड के लिए खड़ा हूं ..मुझे ही नहीं मिल रहा बेड..
हालात ये है कि यहां काम करने वाले डॉक्टर को बेड नहीं मिल रहा तो आम आदमी का क्या हाल होगा. अब हमारा कैमरा घुमा पेशेंट होलडिंग वार्ड में. गौरतलब है कि दिल्ली के सीएम साहब कहते है कि किसी भी पेशेंट को 10 से ज्यादा वेटिंग में नहीं रखना, लेकिन बड़ी संख्या में लोग सुबह से अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे थे.
रिपोर्टर- बेड नहीं खाली
कर्मचारी- देख लीजिए आप
रिपोर्टर- होडिंग एरिया में बेड खाली नहीं है
कर्मचारी- ऊपर भी बेड खाली नहीं है ..
एंबुलेंस ड्राईवर- सर हम तो सुबह से खड़े है बेड नहीं है
इसी बीच डेड बॉडी का अस्पताल से निकले का सिलसिला जारी था. ये उन अस्पतालों की ज़मीनी हकीकत है, जिसे दिल्ली सरकार कोविड डेडिकेटिव बताती है. फिर हम जग प्रवेश चंद्र अस्पताल पहुंचे, जहां इमरजेंसी के डॉक्टर ने साफ कह दिया कि सरकार को ज़मीनी हकीकत नहीं पता है.
डॉक्टर- आपको क्या करवाना है
रिपोर्टर- कोविड का टेस्ट करवाना है
डॉक्टर- कोविड के टेस्ट यहां 2 बजे तक होते हैं, अब नहीं होगा.
रिपोर्टर- सीएम कह रहे है कि टेस्टिंग 24 घंटे हो रही है
डॉक्टर- चीफ मीनिस्ट्रर क्या कह रहा ग्राउंड लेवल पर तो हम बैठे है न
डॉक्टर- अगर आपको ज्यादा इमरजेंसी है तो जीटीबी या एलएनजेपी जाएं, लेकिन वो भी अभी पेंशेंट को नहीं ले रहे है, इन द सेंस अगर आप सीरियस है तो ले लेंगे, वैसे नहीं लेंगे.
दिल्ली में हालत बेकाबू हो चुके है. सरकार अभी भी ज़मीनी हकीकत से कोसो दूर है. मरीज बेहाल है और तीमारदार बीमार पड़ने की कगार पर है. सच्चाई तो ये है कैसे हालत सुधरेगें ये किसी को भी नहीं पता.