दिल्ली में कोरोना के कम होते मामलों की वजह क्या रैपिड एंटीजन टेस्ट की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है? जुलाई के महीने में राजधानी में कम प्रमाणिकता वाले एंटीजन टेस्ट ज्यादा संख्या में किए जा रहे हैं जबकि ज्यादा सटीक परिणाम वाले आरटी-पीसीआर टेस्ट की संख्या रोजाना घट रही है.
दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आंकड़े दिखाते हैं कि पिछले 8 दिनों में आरटी-पीसीआर टेस्ट की संख्या किस तरह से 10 हजार से कम हुई है, जबकि एंटीजन टेस्ट की संख्या प्रतिदिन औसतन 10 हजार से ज्यादा रही है.
12 जुलाई, 1573 कोरोना मरीज
रैपिड एंटीजन टेस्ट - 11793
आरटी-पीसीआर टेस्ट - 9443
13 जुलाई, 1246 कोरोना मरीज
रैपिड एंटीजन टेस्ट - 8311
आरटी-पीसीआर टेस्ट - 3860
14 जुलाई, 1606 कोरोना मरीज
रैपिड एंटीजन टेस्ट - 15413
आरटी-पीसीआर टेस्ट - 5650
15 जुलाई, 1647 कोरोना मरीज
रैपिड एंटीजन टेस्ट - 15964
आरटी-पीसीआर टेस्ट - 6565
16 जुलाई, 1652 कोरोना मरीज
रैपिड एंटीजन टेस्ट - 14329
आरटी-पीसीआर टेस्ट - 5896
17 जुलाई, 1462 कोरोना मरीज
रैपिड एंटीजन टेस्ट - 14194
आरटी-पीसीआर टेस्ट - 6270
18 जुलाई, 1475 कोरोना मरीज
रैपिड एंटीजन टेस्ट - 15412
आरटी-पीसीआर टेस्ट - 6246
विशेषज्ञों के मुताबिक दिल्ली में कोरोना के कम मामले रिपोर्ट होने के पीछे एक वजह आरटी-पीसीआर टेस्ट की कम संख्या भी हो सकती है. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का कहना है, 'जून के मुकाबले जुलाई में स्तिथि बेहतर है. अनलॉक के बाद, उस समय काफी स्पीड से कोरोना का स्प्रेड हो रहा था. लेकिन अब दिल्ली में कोरोना की स्थिति बहुत हद तक नियंत्रण में है. जैसा बहुत देशों में देखने मिला, ईश्वर न करे कि दूसरा स्पाइक देखने मिले, वरना स्थिति ठीक हो चुकी है. अब हम इंतजार कर रहे हैं कि कोरोना के केस कम हो जाएं.'
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हालांकि सवाल पूछे जाने पर कि पिछले एक हफ्ते में आरटी-पीसीआर टेस्ट की संख्या काफी कम हो गयी है और एंटीजन टेस्ट की संख्या काफी अधिक है, क्या ऐसे में दिल्ली को कोई रिस्क नहीं है? 'आजतक' के सवाल पर मनीष सिसोदिया ने जवाब देते हुए कहा, 'एंटीजन टेस्ट में पहले कहा जा रहा था कि बहुत ज्यादा निगेटिव रिपोर्ट सामने आ रही थीं या रिपोर्ट फाल्स निगेटिव बहुत आती है. लेकिन अब जो डाटा सामने आया है उसमें फाल्स निगेटिव के चांस उतने ही हैं जितने आरटी-पीसीआर में हैं.'
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सिसोदिया ने कहा, 'हालांकि आरटी-पीसीआर टेस्ट में काफी समय लगता है और एंटीजन टेस्ट बहुत फास्ट होता है इसलिए हर व्यक्ति चाहता है कि अगर टेस्ट करवाना पड़े तो नतीजा जल्दी मिल जाए. एंटीजन टेस्ट से जल्दी नतीजे मिल जाने से स्प्रेड रुक जाता है और ट्रेसिंग हो सकती है.'
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वहीं कोरोना काल में सरकार के कामकाज में अहम भूमिका निभाने वालीं आम आदमी पार्टी की विधायक आतिशी ने दावा किया है कि पूरी दिल्ली में कोरोना का ग्राफ देखा जाए तो सिर्फ टेस्टिंग ही नहीं बल्कि अस्पतालों में खाली बेड्स की मौजूदा संख्या बताती है कि कोरोना मरीज कम हो रहे हैं.
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आतिशी के मुताबिक 'अक्सर जिस शख्स में लक्षण गंभीर होते हैं वो आरटी-पीसीआर टेस्ट करवाने जाते हैं, फिर उन्हें अस्पताल में भर्ती किया जाता है. ऐसा लग रहा है कि सरकार के एफर्ट से कम टेस्टिंग की जरूरत भी पड़ रही है. एंटीजन टेस्ट की संख्या इसलिए अधिक है क्योंकि पूरी दिल्ली कंटेंटमेट जोन और कंटेंटमेट जोन के बाहर भी बड़े स्तर पर कैम्प लगाए गए हैं. अगर किसी मे लक्षण हैं और उसका एंटीजन टेस्ट निगेटिव है तो ऐसे शख्स का आरटी-पीसीआर टेस्ट जरूर करवाया जाता है.'
लोग खुद करवा रहे टेस्ट
जब AAP प्रवक्ता आतिशी से पूछा गया कि दिल्ली में जून के मुकाबले जुलाई में आरटी-पीसीआर टेस्ट कम क्यों हो रहे हैं? तो आतिशी ने जवाब में कहा, 'बहुत से आरटी-पीसीआर टेस्ट लोग खुद करवा रहे थे लेकिन अब सरकार ने बड़े स्तर पर टेस्टिंग करवाई है. ऐसे में बहुत से लोगों ने टेस्ट करवा लिया है और जिनमें कोरोना पाया गया उनके कॉन्टेक्ट भी आइसोलेट हो गए. इसलिए आरटी-पीसीआर टेस्ट करवाने वालों की संख्या घट रही है.' AAP नेता आतिशी का मानना है कि सिर्फ टेस्टिंग के आंकड़े के आधार पर बीमारी की स्थिति को नहीं आंका जा सकता है.