scorecardresearch
 

दिल्लीः अंतिम संस्कार में पराली का प्रयोग बढ़ा तो घटेगा प्रदूषण, कांग्रेस बोली- पैसा कहां

ईस्ट एमसीडी का कहना है कि पराली से बने उपलों से शवों के जलने में तेजी आएगी. ईस्ट दिल्ली के तहत आने वाले श्मशान घाट सीमापुरी, गाजीपुर, मौजपुर, गीता कॉलोनी, कड़कड़डूमा, चिल्ला गांव और कस्तूरबा नगर में है. हालांकि कांग्रेस की ओर से कहा जा रहा है कि इसके लिए पैसा कहां से आएगा.

Advertisement
X
फाइल फोटो-पीटीआई
फाइल फोटो-पीटीआई
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ईस्ट MCD: पराली से बने उपलों से शवों के जलने में तेजी आएगी
  • ईस्ट एमसीडी की हालत रेवेन्यू के मामले में सबसे खस्ता
  • स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन- एमसीडी के अफसरों के साथ होगी प्रस्ताव पर चर्चा
  • कांग्रेस नेता मुकेश- फंड की कमी है तो पंजाब से पराली कैसे खरीदेगी एमसीडी

कोरोना काल में एक ओर जहां हवा की गुणवत्ता बेहतर रही तो सर्दियों के आते ही दिल्ली के लोगों को पराली से प्रदूषण का डर सताने लगा है. हर साल की तरह इस बार ऐसी समस्या न आए इसको देखते हु्ए ईस्ट एमसीडी ने एक पहल की है और उसकी ओर से इलाके के श्मशान घाटों में पराली का इस्तेमाल बढ़ाने की पेशकश की गई है. हालांकि कांग्रेस की ओर से कहा जा रहा कि इसके लिए पैसा कहां से आएगा.

Advertisement

ईस्ट एमसीडी का कहना है कि पराली से बने उपलों से शवों के जलने में तेजी आएगी. ईस्ट दिल्ली के तहत आने वाले श्मशान घाट सीमापुरी, गाजीपुर, मौजपुर, गीता कॉलोनी, कड़कड़डूमा, चिल्ला गांव और कस्तूरबा नगर में है.  

ईस्ट एमसीडी में स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन सत्यपाल गहलोत ने बताया कि पंजाब के किसानों के पराली जलाने से दिल्ली गैस चैंबर में बदल जाती है, ऐसे में पंजाब के किसानों से पराली खरीदकर उनका इस्तेमाल शवों को जलाने में किया जा सकेगा. ये प्रस्ताव स्टैंडिंग कमेटी की मीटिंग में वेलकम कॉलोनी से बीजेपी के पार्षद अजय कुमार ने दिया. सत्यपाल कहते हैं कि प्रस्ताव को लेकर चर्चा एमसीडी के अफसरों से की जाएगी.

इसे भी पढ़ें --- 6 सितंबर को ऐप के जरिए नीतीश कुमार की वर्चुअल रैली, फूकेंगे चुनावी बिगुल 

Advertisement

आपको बता दें कि ईस्ट एमसीडी की हालत रेवेन्यू के मामले में सबसे खस्ता है. स्टाफ को कई महीने से सैलरी तक नहीं मिली है. ऐसे में प्रस्ताव के अमलीजामा होने पर संदेह है. एमसीडी में कांग्रेस नेता मुकेश गोयल ने बताया कि फंड को रोना रोने वाली बीजेपी के पार्षद ही बता सकते हैं कि वो पंजाब से पराली कैसे खरीदेंगे.      

क्या पराली से बढ़ेगा प्रदूषण
ईपीसीए यानि इनवायरनमेंट पल्शून कंट्रोल अथॉरिटी ने पड़ोसी राज्यों में पराली न जले इसके लिए काम तेज कर दिया है. वहीं कोरोना काल में पराली को लेकर हरियाणा में चलाए जा रहे जागरुकता अभियान का खासा असर नहीं पड़ रहा है.

इसे भी पढ़ें --- दिल्ली में कोरोना पर कंट्रोल, स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन बोले- क्रेडिट कोई भी ले ले

पर्यावरणविद अनिल सूद ने कहा कि हरियाणा में किसानों को सब्सिडी भी दी जा रही है लेकिन हकीकत में पराली को लेकर अभी भी किसानों में जागरुकता का अभाव है.

Advertisement
Advertisement