
कोरोना संकट का असर अब किसान आंदोलन पर भी पड़ता नजर आ रहा है. किसान आंदोलन में शामिल किसानों की मौत ने आंदोलन स्थल में महामारी फैलने की आशंका को बल दिया है. आजतक के संवाददाता ने आज शनिवार को दिल्ली के अंतिम गांव सिंघु और सिंघोला का जायजा लिया. सिंघु गांव, किसान आंदोलन स्थल सिंघु बॉर्डर के बेहद नजदीक बसा है. साथ ही हरियाणा और दिल्ली में आवाजाही का यही एकमात्र रास्ता बचा है, जो राजधानी के लॉकडाउन से राहत की सांस ले रहा है.
यहां दिन में ट्रैफिक ना के बराबर होता है और प्रदर्शनकारी किसान या फिर आंदोलन में हिस्सा लेने वाले लोगों का दिन के वक्त यहां पर आना बहुत कम हो रहा है. हालांकि ट्रैफिक जाम लगते ही पूरा गांव ठहर सा जाता है. गांव में मोहल्ला क्लीनिक के डॉक्टर संजय सरोज की मानें तो बीते हफ्ते गांव में कोरोना संक्रमितों की संख्या करीब 30 थी. 1 हफ्ते से कोरोना टेस्टिंग नहीं हो पा रही है क्योंकि सैंपल कलेक्ट करने वाला खुद ही कोरोना पॉजिटिव हो गया.
गांव के निवासी राजेंद्र सिंह ने कहा कि जाम में एंबुलेंस घंटों फंसी रहती है. गाव के ही संजय सहरावत का कहना है कि कोरोना का कहर उतना नहीं है, जितना कोरोना हो जाए तो पेशंट को ट्रीटमेंट के लिए ले जाना. रजनीश का कहना है कि ना रोड खुला है ना ही प्रशासन ने कोई इंतजाम किया है. घंटों एंबुलेंस फंसी रहती हैं. बस पकड़नी हो तो गांव के लोगों को डेढ़ किलोमीटर दूर पैदल चलकर जाना पड़ता है.
मोदी सरकार के इस फैसले से होगा 1.5 करोड़ मजदूरों को लाभ, हाथ में आएगा ज्यादा पैसा!
गांव वालों को सता रहा संक्रमण का डर
रजनीश ने बताया कि जब से आंदोलन शुरू हुआ, तबसे यहां की सड़कों में इतने गड्ढे हो गए कि पता नहीं चल पाता है कि कहीं गड्ढे में सड़क तो नहीं बनीं. गांव वालों के मुताबिक करीब 15 हजार की आबादी वाले गांव में 2 डिसपेंसरी और मोहल्ला क्लीनिक है. आंदोलन स्थल और सोनीपत हरियाणा की तरफ जाने वाला सारा ट्रैफिक गांव के बीच से ही गुजरता है. कोरोना मरीज भी जाते हैं. यही वजह है कि गांव वोलों को संक्रमण का डर ज्यादा लगा रहता है. गांव के अधिकतर लोग इलाज के लिए नरेला के राजा हरिश्चंद्र अस्पताल ही जाते हैं.
ब्लैक फंगस पर 'फंदा' कसने की तैयारी, दवा की किल्लत होगी दूर, 5 और कंपनियों को लाइसेंस
कैसे हैं सिंघोला गांव के हालात?
सिंघोला गांव, सिंघु बॉर्डर आंदोलन स्थल के डेढ़ किलोमीटर के दायरे में दिल्ली का दूसरा अंतिम गांव है, जो कि दिल्ली नॉर्थ वेस्ट जिले में आता है. कोरोना ने अंतिम संस्कार से महरूम कर दिया तो शादी की खुशियों पर गम की बड़ी मार भी इस महामारी से पड़ी है. एक परिवार में शादी के बाद कोरोना का ऐसा कहर टूटा कि डोली उठने से पहले जनाजा उठ गया.
सिंघोला गांव निवासी सोनिया के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. सोनिया के पिता सुनील की भी आंखें नम हैं. सोनिया की मां बेडो देवी शादी की तैयारियों में जुटी थीं और शॉपिंग कर चुकी थीं. लेकिन शादी के ठीक दो दिन पहले कोरोना से पीड़ित हुईं और 22 अप्रैल को उनकी जान ही चली गई. मरहूम मां बेटी के शादी देखने की इच्छा भी अधूरी रह गई. सोनिया के पिता सुनील का कहना है कि बहुत खर्चा किया. शादी में 300 लोगों के लिए कार्ड भी छपवा लिए पर अब नियम के तहत सीमित लोगों की ही बुला रहे हैं. पिता का कहना है कि अब तो सिर्फ बेटी के हाथ ही पीले हो जाएं बस.
गांव में नहीं मोहल्ला क्लीनिक
गांव के निवासी नरेंद्र गौतम ने बताया कि गांव में मोहल्ला क्लीनिक नहीं है. लिहाजा गांव के लोगों को डेढ़ किलोमीटर दूर राजा हरिश्चंद्र अस्पताल या फिर दूसरे टीकरी गांव जाना पड़ता है. गांव के लोगों का कहना है बीते हफ्ते गांव में कोरोना से एक मौत हुई है. गांव में संक्रमण कम है हालांकि किसान आंदोलस्थल की वजह से 5 किलोमीटर की ज्यादा दूरी तय करनी पड़ती है. गांव में करीब दो हजार वोटर होंगे. उत्तर-पश्चिमी दिल्ली प्रशासन का कहना है कि शनिवार दोपहर तक 2,741 रैपिड एंटीजेन टेस्ट हुए जिसमें से 5 संक्रमित पाए गए.
यह भी पढ़ें-
Corona Updates: कोरोना केस में कमी से राहत लेकिन नहीं थम रही मौतें, 24 घंटे में करीब 4200 मरीजों की गई जान
कोरोना: ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन पर बढ़ा भरोसा, बचीं हजारों जानें