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तो क्या कोरोना की दूसरी लहर का सबसे खराब दौर गुजर गया? आंकड़े तो यही कहते हैं!

राष्ट्रीय स्तर पर भी, औसतन साप्ताहिक नए केसों के मामलों में खासी गिरावट आई है. एक्टिव केस लोड 16 मई को करीब एक लाख और उसके अगले एक दिन 1.6 लाख पर आ गया. अधिकांश राज्यों में पॉजिटिविटी रेट में गिरावट आई है.

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सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई)
सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दिल्ली का 0.57 का आर-वैल्यू दिसंबर के स्तर के करीब
  • दिल्ली-UP में रोजाना दर्ज होने वाले नए केसों में गिरावट
  • 1 से नीचे का आर-वैल्यू हुआ तो संक्रमण की दर कम हुई

दिल्ली में अभी के मामले इस ओर इशारा करते हैं कि यहां पर महामारी का प्रकोप कम हो गया है. राजधानी में दूसरी लहर में पीक की तुलना में इस समय हर 5 में से एक नया केस दर्ज हो रहा है. कई अन्य आंकड़े भी इसी तथ्य की ओर इशारा करते हैं.

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उदाहरण के लिए, दिल्ली का 0.57 का आर-वैल्यू दिसंबर 2020 के स्तर के करीब है. अप्रैल के मध्य में इसने 2.3 को छुआ, जिसका मतलब यह हुआ कि एक कोरोना संक्रमित व्यक्ति दो लोगों को संक्रमित कर सकता है, लेकिन तब से यह गिर रहा है. अन्य संकेतक जैसे पॉजिटिविटी रेट (टेस्ट किए गए कुल व्यक्तियों में से पॉजिटिव होने वाले लोगों की संख्या) और नए मामलों की संख्या भी यह इशारा करते हैं कि दिल्ली में शायद सबसे खराब दौर खत्म हो गया है, कम से कम कुछ समय के लिए.

 

राष्ट्रीय स्तर पर भी, औसतन साप्ताहिक नए केसों के मामलों में खासी गिरावट आई है. एक्टिव  केस लोड 16 मई को करीब एक लाख और उसके अगले एक दिन 1.6 लाख पर आ गया. अधिकांश राज्यों में पॉजिटिविटी रेट में गिरावट आई है; और आर-वैल्यू 0.9 से नीचे चला गया है. वैश्विक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, 1 से नीचे का आर-वैल्यू बताता है कि संक्रमण धीमा हो सकता है.

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कोरोना वायरस की दूसरी लहर की शुरुआत के बाद से हमारे पास इतने सारे सकारात्मक संकेतकों का ऐसा संगम संभवतः ही कभी हुआ हो, जो यह बताता है कि शायद सबसे खराब दौर चला गया है. देश के अधिकांश हिस्सों में लॉकडाउन ने खतरनाक वायरस को फैलने से रोकने में मदद की है. और टीकाकरण कार्यक्रम, जो अभी शुरुआती अवस्था में है, लेकिन इसका प्रभाव पड़ा है.

नीचे दिए गए चार्ट रोजाना दर्ज नए मामलों, मौतों और आर-वैल्यू भारत तथा कुछ प्रमुख राज्यों की स्थिति को दर्शाते हैं.

 

दिल्ली और उत्तर प्रदेश में रोजाना दर्ज होने वाले नए मामलों में सबसे ज्यादा गिरावट रही, और महाराष्ट्र भी अहम है क्योंकि भारत के कुल नए केसों में इन तीन राज्यों का खासा योगदान रहा है. जबकि औसतन दैनिक मृत्यु दर अभी भी अधिक है, 7 दिवसीय औसत के आधार पर यह उम्मीद बंधती है कि मृत्यु दर में जल्द ही कम आने वाली है.

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पूरे देश की बात की जाए तो 3 मई से 9 मई के बीच रोजाना दर्ज होने वाले नए केसों की संख्या करीब 3.92 लाख थी. जो अगले हफ्ते घटकर यह 3.29 लाख तक आ गई. हालांकि, इसी अवधि में औसतन दैनिक मृत्यु दर में वृद्धि हुई और यह 3,888 से बढ़कर 4,038 हो गई.

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दिल्ली के मामले में, ताजा मामलों के मामले में गिरावट अधिक स्पष्ट थी. औसतन रोजाना नए मामले 3 मई से 9 मई के बीच वाले हफ्ते में करीब 18,000 से घटकर 10,000 तक आ गए. महाराष्ट्र में जहां ताजा मामलों में गिरावट आई है तो मृत्यु दर के मामले में मामूली वृद्धि देखी गई.

इन सबसे के बावजूद नए मामलों में 0.9 की कमी यह दर्शाती है कि केस की संख्या कम हो रही है, लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि हम केवल शुरुआती संकेतों के बारे में ही बात कर रहे हैं. अभी हमें किसी तरह की ढिलाई से बचना होगा.

 

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