दिल्ली की एक अदालत ने एक ऑटोरिक्शा ड्राइवर को लापरवाही से गाड़ी चलाने और दो पैदल यात्रियों को घायल करने के आरोप से बरी कर दिया और कहा कि जेब्रा कॉसिंग से सड़क पार नहीं करना पैदल यात्रियों की गलती है.
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सौम्या चौहान ने पूर्वी दिल्ली के निवासी अनिल कुमार को भादसं की धारा 279 (लापरवाही से गाड़ी चलाना), धारा 337 (जिंदगी खतरे में डालना) और मोटर वाहन अधिनियम की धारा 181 (बिना वैध ड्राइविंग लाइसेंस के गाड़ी चलाना) से बरी कर दिया.
अदालत ने कहा, 'आरोपी का बचाव संभावित जान पड़ता है कि शिकायतकर्ता खुद ही गलत थे, क्योंकि वे जेब्रा क्रॉसिंग से सड़क नहीं पार कर रहे थे.' उसने कहा कि शिकायतकर्ता और उसकी साथी ने बेहद ही मामूली ढंग से कह दिया कि आरोपी लापरवाही से गाड़ी चला रहा था.
अदालत ने कहा कि यह साबित करने के लिए कि आरोपी लापरवाह था, इतना काफी नहीं है. गाड़ी की यांत्रिक निरीक्षण रिपोर्ट वाहन की रफ्तार के बारे में चुप है. संबंधित प्राधिकार से इस बात बात की भी रिपोर्ट नहीं है कि दुर्घटना के वक्त अनिल के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था.
ऐसे में अभियोजन संदेह से परे जाकर यह साबित नहीं कर पाया कि शिकायतकर्ता और उसकी साथी को ड्राइवर की लापरवाही से चोट पहुंची.
अभियोजन के अनुसार 24 अक्तूबर, 2006 को रोहतक रोड पर सुबह सवा आठ बजे अनिल ने अपने ऑटोरिक्शा से शिकायकर्ता और उसकी साथी को उस वक्त टक्कर मार दी थी जब वे सड़क पार कर रहे थे.
इनपुट: भाषा