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'दिल्ली, हरियाणा, यूपी में खुलकर हो रहा GRAP-1 और 2 का उल्लंघन', कोर्ट कमिश्नर ने अदालत को बताया

शीर्ष अदालत की सुनवाई से पहले कोर्ट कमिश्नर एडवोकेट मनन वर्मा ने गुरुवार को एक रिपोर्ट दाखिल की. उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद यह स्पष्ट है कि 18,19 और 20 नवंबर को दिल्ली के बड़े एंट्री पॉइंट्स पर कोई भी पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था. आयोग अपने निर्देशों/आदेशों को लागू करने और जांच के लिए अपने उड़नदस्तों को ग्राउंड पर भेजने में विफल रहा.

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कोर्ट कमिश्नर ने SC के समक्ष पेश की प्रदूषण पर अपनी रिपोर्ट
कोर्ट कमिश्नर ने SC के समक्ष पेश की प्रदूषण पर अपनी रिपोर्ट

दिल्ली वायु प्रदूषण मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त कोर्ट कमिश्नरों में से एक ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट दाखिल की. कोर्ट कमिश्नर ने अदालत को बताया कि अभी भी दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा (एनसीआर क्षेत्रों) में GRAP-1 और GRAP-2 का उल्लंघन हो रहा है.

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कोर्ट के समक्ष दायर रिपोर्ट में कहा गया है कि उल्लंघनों को पॉइंट आउट करने के बाद भी, उचित कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. यह पूरी तरह से सीएक्यूएम अधिनियम के तहत दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (Commission for Air Quality Management) की विफलता के कारण है.

'एंट्री पॉइंट्स पर कोई पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था'

शीर्ष अदालत की सुनवाई से पहले कोर्ट कमिश्नर एडवोकेट मनन वर्मा ने गुरुवार को एक रिपोर्ट दाखिल की. उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद यह स्पष्ट है कि 18,19 और 20 नवंबर को दिल्ली के बड़े एंट्री पॉइंट्स पर कोई भी पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था. आयोग अपने निर्देशों/आदेशों को लागू करने और जांच के लिए अपने उड़नदस्तों को ग्राउंड पर भेजने में विफल रहा.

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उन्होंने कहा कि अगर अधिकारी गए होते, तो वे 19 नवंबर को ही GRAP आदेशों को लागू करवा चुके होते. रिपोर्ट में कहा गया है कि आयोग GRAP आदेश जारी करने के बाद मूकदर्शक बन गया. सुप्रीम कोर्ट ने GRAP-4 और GRAP-2 के उपायों को जारी रखने का आदेश दिया है. इससे पहले SC ने कुछ उपायों को GRAP-2 स्तर तक लाने की अनुमति दी थी.

'कोई यूरोप का AQI नहीं मांग रहा'

कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट में कहा गया है, 'आयोग मनमाने तरीके से और दोषी अधिकारी के रैंक के अनुसार कार्रवाई कर रहा है. किसी भी नागरिक ने दिल्ली में यूरोप के वायु गुणवत्ता मानक की मांग नहीं की है, लेकिन आयोग के पास नागरिकों को गैस चैंबर देने का कोई अधिकार नहीं है.'

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