दिल्ली की एक अदालत ने एक व्यक्ति को हिरासत में पीटे जाने के उसके आरोप का समर्थन किया है और मामले में उसे सम्मन पूर्व साक्ष्य देने को कहा है. व्यक्ति ने दिल्ली पुलिस के छह अधिकारियों के खिलाफ आरोप लगाया था, जिसमें कोर्ट ने प्राथमकी दर्ज करने की याचिका को खारिज कर दिया है.
एडिशनल सेशन जज मनोज जैन ने कहा, 'मुझे ऐसा लगता है कि इस बात की पूरी संभावना है कि यदि प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया गया तो यह रद्द करने की रिपोर्ट में तब्दील हो सकती है. यह पुनरीक्षण की मांग करने वाले के उद्देश्य को प्रभावित करेगी.' कोर्ट ने कहा कि बेशक किसी भी पुलिस अधिकारी को कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं है और बगैर किसी तार्किक कारण के किसी नागरिक की स्वतंत्रता का अतिक्रमण नहीं किया जा सकता.
जज ने निचली अदालत के आदेश के खिलाफ मालवीय नगर निवासी राजबीर सिंह की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका खारिज करते हुए कहा, 'अदालत शिकायतकर्ता द्वारा उसके समक्ष रखे जाने वाले सम्मन पूर्व साक्ष्य के बारे में स्वाभाविक रूप से जरूरी कार्रवाई करेगी.' दरअसल, निचली अदालत ने गलती करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश देने से इनकार कर दिया था.
कोर्ट ने कहा, 'यदि एक को भी हिरासत में लिया जाता है तो दिशानिर्देशों का बारीकी से पालन करने की जरूरत होगी. सभी साक्ष्य पूरी तरह से शिकायतकर्ता के पास हैं. वह कानून तोड़ने वालों के नाम और ब्योरे को जानता है. किसी भी दृष्टिकोण से जांच की जरूरत नहीं है.'
शिकायतकर्ता के मुताबिक 24-25 जून की रात करीब 10 से 12 पुलिसकर्मी उसके घर में जबरन घुसे और घरेलू वस्तुओं को नुकसान पहुंचाया. यही नहीं पुलिस उसे और अन्य को बगैर कारण बताए उठा ले गई. सिंह ने आरोप लगाया है कि मालवीय नगर के थाना प्रभारी और उप निरीक्षक महेश भार्गव ने उसे निर्ममता से पीटा था और पुलिस थाने घसीट कर लाए थे. उसके खिलाफ झूठा मामला भी दर्ज किया गया.
-इनपुट भाषा से