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वृंदा करात ने दिल्ली HC में लगाई याचिका, की दिल्ली दंगे से जुड़े मामले में बीजेपी नेताओं पर भी FIR की मांग

दिल्ली दंगे से जुड़े मामले में दिल्ली हाई कोर्ट में सीपीएम नेता वृंदा करात ने एक याचिका लगाई है. याचिका में कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषणों के लिए बीजेपी नेताओं अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है.

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सीपीएम नेता वृंदा करात (फाइल फोटो)
सीपीएम नेता वृंदा करात (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दिल्ली की निचली अदालत में भी वृंदा करात ने लगाई थी याचिका
  • निचली अदालत ने खारिज कर दी थी वृंदा करात की वह याचिका
  • निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंची हैं वृंदा करात

दिल्ली दंगे से जुड़े मामले में दिल्ली हाई कोर्ट में सीपीएम नेता वृंदा करात ने एक याचिका लगाई है. याचिका में कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषणों के लिए बीजेपी नेताओं अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है. बता दें कि वृंदा करात ने यही याचिका दिल्ली की निचली अदालत में भी लगाई थी, जहां याचिका के खारिज होने के बाद अब दिल्ली हाई कोर्ट में अपील दाखिल की गई है.

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वृंदा करात ने दिल्ली हाई कोर्ट में अपनी याचिका में कहा है कि निचली अदालत ने गलत आधारों पर उनकी याचिका को खारिज किया है. दिल्ली हाई कोर्ट ने आज इस मामले की सुनवाई करते हुए सभी पक्षों को सीआरपीसी की धारा 196 (3) और 156 (3) को लेकर दिए गए पुराने जजमेंट कोर्ट के सामने पेश करने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली पुलिस को भी अपना पक्ष रखने का और कोर्ट के पुराने जजमेंट इस मामले में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई अब 2 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी है.

26 अगस्त को दिल्ली की निचली अदालत ने वृंदा करात की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत बीजेपी नेताओं अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी. निचली अदालत ने वृंदा करात की अर्जी को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा था कि धारा 196 (3) सीआरपीसी के अनुसार, मंजूरी का मुद्दा केवल संज्ञान लेने के स्तर पर उठता है न कि एफआईआर दर्ज करने के चरण में.

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वृंदा करात ने हाईकोर्ट में अपनी याचिका में कहा है कि अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के पर्याप्त मजबूत आधार हैं. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में रिठाला में एक रैली के दौरान, अनुराग ठाकुर ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वालों के संदर्भ में "देश के गद्दारों को, गोली मारो सालों को" जैसे नारे लगाए और पब्लिक को उकसाने का काम किया. प्रदर्शन कर रहे लोगों को देशद्रोही की संज्ञा दी गई. इसके अलावा प्रवेश वर्मा ने जनवरी में एक न्यूज एजेंसी को दिए गए साक्षात्कार में शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों के खिलाफ झूठे, उत्तेजक और सांप्रदायिक बयान दिए.

हाई कोर्ट में निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए वृंदा करात ने कहा है कि निचली अदालत के जज ने उनकी याचिका को गलत आधारों पर खारिज किया है. दिल्ली हाई कोर्ट को दी गई अपनी दलील में इसको लेकर कई पुराने जजमेंट का हवाला भी दिया. दिल्ली हाई कोर्ट की तरफ से आज वृंदा करात के वकीलों की तकरीबन 1 घंटे की बहस को कोर्ट में सुना.

 

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