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दिल्ली में 'No Crackers' के बावजूद 30% परिवार ला चुके हैं स्टॉक, आतिशबाजी में टूटेगा 5 साल का रिकॉर्ड?

20 अक्टूबर को, सुप्रीम कोर्ट ने दीवाली और अन्य उत्सवों के दौरान पटाखों को जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था. दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) द्वारा लगाए गए सभी प्रकार के पटाखों की बिक्री और उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध का विरोध करने वाली एक याचिका को भी खारिज कर दिया था.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

दिल्ली में पटाखों की ब्रिक्री पर बैन जरूर है, लेकिन दिवाली के मौके पर लोग कहीं ना कहीं से जुगाड़ कर अपने लिए इन पटाखों का इंतजाम कर ही रहे हैं. धड़ल्ले से हर नियम तोड़ा जा रहा है, बिना किसी डर के पटाखों की एक जगह से दूसरी जगह सप्लाई हो रही है.  अब एक सर्वे में पता चला है कि साल 2018 के बाद से इस दिवाली दिल्ली-एनसीआर में सबसे अधिक पटाखे जलने की संभावना है. एक लीडिंग कम्युनिटी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लोकलसर्किल द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में  यह मालूम हुआ है. दिल्ली-एनसीआर में इस दिवाली कुल 39 फीसदी परिवारों में पटाखे जलने की संभावना है.

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30% परिवारों ने पहले ही स्टॉक किए पटाखे

स्टडी में पता चला है कि 30% परिवारों ने पहले ही पटाखों का स्टॉक रख लिया है. वहीं कुल 10% ने संकेत दिया कि वे पटाखे जलाएंगे और वे उन्हें दिल्ली से ही मंगवा चुके हैं.  20% ने पटाखे जलाने की बात कही है और वे पहले ही एनसीआर से पटाखे ले आए हैं. जबकि 9% ने कहा कि वे अभी पटाखे खरीदेंगे.

दिल्ली-NCR में 5 में से 2 परिवारों के पटाखे जलाने की संभावना

2018 के सर्वेक्षण में, 32% परिवारों ने पटाखे फोड़ने की योजना बनाई थी. 2019 में यह आंकड़ा बढ़कर 35 फीसदी हो गया. लेकिन 2021 में कोविड के बीच ये 32% तक गिर गया. लोकलसर्किल के संस्थापक सचिन टापरिया ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में पांच में से दो परिवारों के पटाखे जलाने या फोड़ने की संभावना है.

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खास प्रभावी नहीं पटाखों पर लगा प्रतिबंध

उन्होंने कहा कि 10% के पास पटाखे हैं जो उन्होंने दिल्ली से ही खरीदे हैं, जो बताता है कि राजधानी में पटाखों पर लगा प्रतिबंध उतना प्रभावी नहीं है जितना होना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि चूंकि फरीदाबाद, गाजियाबाद, नोएडा और गुरुग्राम के एनसीआर शहरों में कोई प्रतिबंध नहीं है, इसलिए इन शहरों में कई लोगों के पास पटाखों की आसान पहुंच है. टापरिया ने कहा, "दिल्ली सरकार को पटाखा प्रतिबंध में एनसीआर के जिला प्रशासन के साथ भी समन्वय करना चाहिए था. इससे प्रतिबंध अधिक प्रभावी होता."

51% लोग बोले- नहीं जलाएंगे पटाखे, प्रदूषण होता है

हालांकि, इस सर्वे में उम्मीद की किरण यह है कि 51% लोगों ने कहा कि वे पटाखे नहीं जलाएंगे "क्योंकि पटाखे प्रदूषण का कारण बनते हैं", जबकि 10% ने कहा कि वे ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि "हमारे क्षेत्र पटाखा प्रतिबंध है"  

दिल्ली में गुपचुप तरीके से पटाखों की बिक्री

गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने जनवरी 2023 तक सभी प्रकार के पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया है. लेकिन यह चिंता का विषय है कि बैन के बावजूद दिल्ली में गुपचुप तरीके से बिक्री हो रही है.

20 अक्टूबर को, सुप्रीम कोर्ट ने दीवाली और अन्य उत्सवों के दौरान पटाखों को जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था. दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) द्वारा लगाए गए सभी प्रकार के पटाखों की बिक्री और उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध का विरोध करने वाली एक याचिका को भी खारिज कर दिया था. पटाखों के निर्माण, भंडारण और बिक्री पर 5,000 रुपये का जुर्माना और तीन साल की जेल का प्रावधान है.

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इनपुट- तीर्थो बनर्जी

 

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