राजधानी दिल्ली में अंधेरों से भरी आनंद पर्वत की जिस गली से उम्मीद की रोशनी निकलने वाली थी. एक बेटी पढ़-लिखकर गरीब मां-बाप का सहारा बनने वाली थी. वहीं पर एक बेटी की लाश गिर गई. बेरहम हत्यारे ताबड़तोड़ वार करते रहे जब तक कि वो मौत के आगोश में सो नहीं गई. जी हां, मीनाक्षी की हत्या के आरोपी जयप्रकाश ने इसका कबूलनामा किया है.
बेटी मरती रही, एक बेबस मां चीखती रही. एक बीमार बाप की आंखें जब सवाल बन गई, कितने बीमार हैं हम लोग. कितना निरीह बना दिया हमने अपना संविधान, कितना क्रूर हो गया ये समाज. गुरुवार को वारदात हुई. 48 घंटे बाद मुख्यमंत्री ने पीड़ित परिवार का दर्द बांटा. 5 लाख की सहायता का ऐलान किया. अब रविवार को सियासत मर्डर पर बातों का मरहम लगा रही है.
लाश में तब्दील हुई एक बेटी की जिंदगी
बातें बहुत हैं सियासत के पास सुनाने के लिए, लेकिन इस दुनिया से कहीं दूर जा चुकी दिल्ली की बेटी मीनाक्षी के इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है कि आखिर दिल्ली की गलियों में इतना अंधेरा क्यों पसरा है. दिमागों में इतनी सड़न क्यों हैं. इतनी नाउम्मीदी क्यों हैं, एक बेटी की जिंदगी लाश में तब्दील कर दी जाती है.
रास्ते में खड़े मिले दो यमदूत
मां को बताकर मीनाक्षी अपने घर से चंद कदमों की दूरी पर मौजूद राशन की छोटी सी इसी दुकान पर राशन खरीदने पहुंची थी. राशन तो खरीद लिया, लेकिन घर पहुंच पाती कि रास्ते में ही दोनों यमदूत खड़े हो गए. दोनों आरोपियों सनी और इलू ने मीनाक्षी को जबरन रोक लिया. एक ने हाथ पकड़ा और दूसरे ने बाल.
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मीनाक्षी के शरीर पर ताबड़तोड़ चाकू बरसाने लगे. उसकी जान बचाने की चीख-पुकार और गुहार पर मां दौड़कर आई तो उस पर भी चाकुओं से हमला बोल दिया. मीनाक्षी ने दौड़कर एक घर के खुले दरवाजे में घुसकर जान बचाने की कोशिश की लेकिन सारी कोशिश बेकार. अंधेरदिमाग दोनों बिगड़ैलजादों ने इंतकाम पूरा कर लिया था.
वो मरती रही, लोग देखते रहे
खबर पाकर मौके पर पुलिस भी पहुंची. उसने पीड़ित मां और बेटी को फौरन राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया. मां की जान तो बच गई, लेकिन दिल्ली की बहादुर बेटी ने सबको अलविदा कह दिया. आज आनंद पर्वत की गली गमगीन है, लेकिन मर्डर को अंजाम देने वालों इन दोनों बिगड़ैलजादों से मुकाबले का जब सवाल था, तब हर कोई नाकाम था.
मीनाक्षी पर रखते थे बुरी नीयत
आरोप के मुताबिक, ये दोनों बिगड़ैलजादे दो साल पहले सही मीनाक्षी पर बुरी नीयत रखते थे. उसके परिवार से इस वजह से आरोपियों के घर वालों से कहा-सुनी भी कई बार हुई. साल 2013 में जब छेड़खानी हद से बढ़ने लगी तो मीनाक्षी और उसकी मां ने पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी. आरोपी मां सहित दोनों भाइयों को जेल हो गई.
बदले की आग ने बनाया हैवान
जेल से वापस लौटकर दोनों भाई हर पल हर दिन बदले की आग में जलते रहे. न कानून का डर ही इन्हें रोक सका और समाज की नसीहतें. पड़ोसी अब कह रहे हैं कि दोनों भाई जान लेने पर आमादा थे, आरोपियों की मां कई महीनों से हमले के लिए उकसा रही थी. साफ है कि मीनाक्षी के ऊपर खतरा शिकायत दर्ज कराने के बाद से ही बढ़ गया था.