इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि देश की राजधानी में महिलाओं के खिलाफ अपराध आए दिन बढ़ रहे हैं. दिल्ली पुलिस ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 2012 की तुलना में इस साल राजधानी में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में 70 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोत्तरी आई है.
16 दिसंबर 2012 को हुए दिल्ली गैंगरेप के बाद से महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कड़े कदम उठाए लेकिन दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट ने खुलासा किया कि पिछले पांच सालों में इस तरह की घटनाएं दोगुनी हो गई हैं.
नहीं लिया '16 दिसंबर' से सबक, तेजी से बढ़े रेप के मामले
इस साल 15 अक्टूबर तक दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ जो अपराध के मामले दर्ज किए गए हैं, वो पिछले पूरे साल के मुकाबले ज्यादा है. पिछले साल से अभी तक रेप के मामले दोगुने हो चुके हैं. 15 अक्टूबर 2013 तक 1330 रेप के मामले दर्ज हो चुके हैं जबकि पिछले साल 15 अक्टूबर तक 590 रेप के मामले सामने आए थे.
यौन शोषण के मामलों में भी वृद्धि
रेप के अलावा यौन शोषण और छेड़छाड़ के मामले भी यहां लगातार बढ़ रहे हैं. 2012 में यौन शोषण के कुल 727 मामले दर्ज किए गए थे, जो इस साल 15 अक्टूबर तक 2844 तक पहुंच चुके हैं. वहीं छेड़छाड़ के मामलों में तिगुनी बढ़ोतरी देखने को मिली है. पिछले साल जहां 236 मामले सामने आए थे इस साल 15 अक्टूबर तक वो 793 तक पहुंच चुके हैं.
महिलाओं के अगवा होने के भी सामने आए पहले से ज्यादा मामले
महिलाओं को अगवा करने के मामले भी तेजी से बढ़े हैं, पिछले साल 15 अक्टूबर तक महिलाओं के अगवा होने के 1750 मामले दर्ज किए गए थे, जो इस साल इसी दौरान 2900 तक पहुंच चुके हैं.
दहेज हत्या भी बहुत बड़ी परेशानी
दहेज के लिए हत्या, महिलाओं से मारपीट के मामले भी पहले से कहीं ज्यादा सामने आए हैं. इस साल 15 अक्टूबर तक 2487 महिलाओं ने पति और ससुराल वालों द्वारा ज्यादती किए जाने के मामले दर्ज कराए तो वहीं 123 महिलाओं की दहेज के लिए हत्या की गई.
दरअसल, दिल्ली में एक रेप केस की एफआईआर नहीं दर्ज किए जाने का विरोध करने के लिए आम आदमी पार्टी के सदस्य के साथ पुलिसवाले ने मारपीट की थी, जिसके बाद कोर्ट में याचिका दायर की गई थी कि इस मामले में स्पेशल टीम जांच करे. इसी याचिका की सुनवाई में दिल्ली पुलिस ने ये डाटा सुप्रीम कोर्ट में जमा किया.
इन आंकड़ों को देखते हुए बेंच ने कहा कि पूरे देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध पिछले पांच सालों में बढ़ा है. जस्टिस जी एस सिंघवी ने कहा, 'महिलाएं चुपचाप इन अपराधों को झेल रही हैं और कुछ ही मामले सामने आ पाते हैं. दुर्भाग्य की बात है कि कुछ यादें बहुत दुखद हैं. 15 साल पहले मध्य प्रदेश में एक छात्रा ने अमीर घर के एक दबंग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था और उसे जीप से कुचल दिया गया था. रोज ही ट्रेनों और बसों में लड़कियों के साथ यौन शोषण के मामले सामने आ रहे हैं.'
सुनवाई कर रही बेंच ने कहा, 'पिछले कुछ सालों में ऐसा क्यों हो रहा है? क्यों लोग कॉन्फिडेंस खो रहे हैं? ऐसा 10 साल पहले नहीं होता था. आए दिन बस में सफर करने वाली लड़कियों के साथ छेड़छाड़ होती है. महिलाओं को लगातार ये सब झेलना पड़ रहा है.'
बेंच के मुताबिक, 'हमें याद है निर्भया (16 दिसंबर गैंगरेप पीड़िता) ऐसी घटनाएं पहले भी हुई हैं. लोग सड़कों पर उतर रहे हैं क्योंकि वो सरकार उनके अधिकारों की रक्षा ही कर पा रही है.' बेंच ने इस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है.