डलहौज़ी रोड बन जायेगा इतिहास, नया नाम होगा 'दारा शिकोह रोड'. जी हां औरंगजेब रोड और रेस कोर्स रोड की तरह अब दिल्ली के डलहौज़ी रोड का नाम बदल गया है. नई दिल्ली इलाके के साउथ ब्लॉक में एनडीएमसी के अंतर्गत आने वाले डलहौज़ी रोड का नया नाम 'दारा शिकोह' रोड होगा. एनडीएमसी ने सोमवार को हुई कॉउंसिल की बैठक में इस नए नाम को मंजूरी दे दी है. जल्दी ही एनडीएमसी नए नाम के लिए नोटिफिकेशन जारी करेगी. दरअसल नई दिल्ली से बीजेपी सांसद और एनडीएमसी सदस्य मीनाक्षी लेखी ने डलहौज़ी रोड का नाम बदलकर दारा शिकोह रोड करने का प्रस्ताव रखा था. जिसे एनडीएमसी ने कॉउंसिल बैठक में पास कर दिया.
आप नेताओं ने लगाया बीजेपी पर नामकरण की राजनीति करने का आरोप
एक के बाद एक सड़कों के नाम बदलने की सियासत पर आम आदमी पार्टी ने सवाल उठाये हैं. एनडीएमसी सदस्य और दिल्ली कैंट से आप विधायक कमाण्डो सुरेंद्र के मुताबिक केंद्र में बैठी बीजेपी एनडीएमसी का राजनीतिकरण कर रही है. कमाण्डो सुरेंद्र ने 'दारा शिकोह' नाम पर आपत्ति जताते हुए कहा कि जब औरंगजेब रोड का नाम बदला गया तो फिर मुग़ल परिवार के ही दूसरे सदस्य का नाम रखने की जल्दी बीजेपी को क्यों है. कमांडो सुरेंद्र के मुताबिक पंजाब और गोवा में हार स्वीकार कर चुकी बीजेपी मुगलों के सहारे यूपी की नैया पार लगाना चाहती है. दरअसल कमांडो सुरेंद्र डलहौज़ी रोड का नाम महाराजा सूरजमल के नाम पर रखने का प्रस्ताव दिया था.
लेखी ने दी सफाई
बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने नामकरण की राजनीति के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि "जब औरंगजेब रोड का नाम बदला जा रहा था तब भी दारा शिकोह नाम रखने की बात चली थी. लेकिन तब पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की मृत्यु होने की वजह से उन्हें सम्मान देते हुए एपीजे अब्दुल कलाम रोड नाम रखा गया. दारा शिकोह मुग़ल शासक शाहजहां के बड़े बेटे थे, जिन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा दिया. दारा शिकोह सौहार्द्र, भाईचारे और कला के धनी थे, हम सब उनके ऋणी हैं. उन्हें सम्मान देने के लिए बहुत समय से कोशिश जारी थीं. इसीलिए उनके नाम को चुना गया." राजा सूरजमल इसलिए नहीं किया गया क्योंकि कानून के मुताबिक जिसके नाम पर एक बार कोई सड़क या कॉलोनी का नाम रख दिया गया हो उसके नाम पर फिर से नाम नहीं रख सकते. हम सब राजा सूरजमल का सम्मान करते हैं लेकिन पूर्वी दिल्ली में उनके नाम पर पहले से ही सूरजमल विहार है. इसीलिए उनका नाम नहीं रखा जा सकता.
सत्येंद्र जैन ने भी साधा निशाना
आप के मंत्री सत्येंद्र जैन ने भी सड़कों के नाम बदलने को यूपी चुनाव के मद्देनजर नामकरण की राजनीति करार दिया. तो वहीं लेखी ने आम आदमी पार्टी पर पलटवार करते हुए कहा कि इस पर जो राजनीति करना चाह रही है, उससे बचे. आम आदमी पार्टी दिल्ली की चिंता कहां है. वो तो पंजाब और गोवा में व्यस्त है. इसीलिए धर्म और जाति के नाम पर लोगों को बांटने की कोशिश न करें. आपको बता दें कि डलहौज़ी रोड से पहले रेस कोर्स रोड का नाम लोक कल्याण मार्ग और औरंगजेब रोड का नाम बदलकर डॉ एपीजे अब्दुल कलाम रोड किया जा चुका है.
नाम बदलना मतलब इतिहास से छेड़छाड़
रास्तों के नाम बदलने पर इतिहासकार क्या सोचते हैं आजतक ने इस मुद्दे पर बात की दिल्ली के प्रमुख इतिहासकार फिरोज बख्त अहमद से. उनके मुताबिक, "नाम बदलना मतलब इतिहास से छेड़छाड़, इस तरह की कोशिश नही होनी चाहिए, हर किसी के नाम का कुछ महत्व रहा होगा. डलहौजी अंग्रेज़ों के अफसर थे, हिमाचल में उनके नाम पर बहुत चीजे हैं. दाराशिकोह औरंगजेब के भाई थे सेकुलर माने जाते थे. मुझे इन सबके पीछे राजनीति की बू आती है. राजनीति को इससे दूर रखिए.