दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने दिल्ली में रेप पीड़िताओं के लिए बने वन स्टॉप सेंटर की बदहाली के लिए दिल्ली सरकार के अफसरों को जिम्मेदार बताया है. उन्होंने अफसरों पर फाइल दबाने का आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली में कहीं-कहीं पर ही वन स्टॉप सेंटर शुरू हो पाया है. 11 अस्पतालों में 1 स्टॉप सेंटर काम कर रहे हैं.
मालीवाल ने शनिवार को कहा कि केजरीवाल ने इस पर काफी काम किया है लेकिन अफसरों के फाइलें दबाए रखने से इस बाबत कोई काम नहीं हो पाया है. आपको बता दें कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कई राज्यो में वन स्टॉप सेंटर शुरू भी कर दिया है. स्वाति ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने तय किया है कि दिल्ली वीमेन कमीशन ही वन स्टॉप सेंटर चलाएगी पर वो फाइल फंसी हैं.
मालीवाल ने बताया कि वन स्टॉप सेंटर में सभी प्रकार की हिंसा से पीड़ित महिलाओं व बालिकाओं को विभिन्न सुविधाएं मिलती हैं. 2012 में दिल्ली में निर्भया कांड के बाद सरकार ने आनन-फानन में निर्भया फंड का फैसला किया. जिसके तहत दुष्कर्म पीडि़ताओं के लिए वन स्टॉप सेंटर खोलने का फैसला किया गया. राज्य सरकारों ने तय किया कि रेप पीड़िताओं को कहीं भटकना ना पड़े और एक ही छत के नीचे (एक सेंटर) उन्हें मेडिकल, पुलिस, मनोवैज्ञानिक, कानूनी और अन्य सहायताएं मिल सकें. इसके लिए निर्भया फंड से सालाना 1 हजार करोड़ रुपये दिए.
इसके बाद पांच वर्षों में देश में डेढ़ सौ सेंटर बनकर कागजों में दर्ज हुए लेकिन अधिकतर की हालत बदहाल है. केंद्र की योजनाओं के अनुसार एकल खिड़की होने के नाते पीड़िता को सबसे पहले यहीं आना होता है. यहीं पर पीड़िता की एफआईआर दर्ज की जानी है. लेकिन दिल्ली का शायद ही कोई वन स्टॉप सेंटर हो जहां पर एफआईआर दर्ज हो रही हो.
वन स्टॉप सेंटर की गाइडलाइंस कहती हैं कि सेंटर में कंप्यूटर होने चाहिए, जिनमें पीड़िताओं का डाटा दर्ज किया जा सके. इसके अलावा वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा भी होनी चाहिए. आपको बता दें कि दिल्ली के 11 जिलों में दिल्ली सरकार वन स्टॉप सेंटर चलाती है, इसके लिए केंद्र सरकार का सहयोग नहीं लेती और न ही निर्भया फंड का इस्तेमाल करती है.