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नोटबंदी के बाद एमसीडी में कम हुई भ्रष्टाचार की शिकायतें

पहले तो पुराने नोटों से एमसीडी अपना खज़ाना भर रही है तो वहीं अब साउथ दिल्ली के मेयर ने दावा किया है कि नोटबंदी लागू होने के बाद से साउथ एमसीडी में करप्शन की शिकायतों में 90 फीसदी की कमी आई है.

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नोटबंदी के बाद शिकायतें हुईं कम
नोटबंदी के बाद शिकायतें हुईं कम

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नोटबंदी के बाद से भले ही लोगों की अलग अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हों लेकिन लगता है नोटबंदी के बाद से एमसीडी के दिन फिर गए हैं. पहले तो पुराने नोटों से एमसीडी अपना खज़ाना भर रही है तो वहीं अब साउथ दिल्ली के मेयर ने दावा किया है कि नोटबंदी लागू होने के बाद से साउथ एमसीडी में करप्शन की शिकायतों में 90 फीसदी की कमी आई है.

मेयर ने इसके लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद देते हुए कहा कि 8 नवंबर को उनके उठाए इस साहसिक कदम के दूरगामी परिणाम मिलेंगे और भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी. साउथ दिल्ली के मेयर श्याम शर्मा के मुताबिक 8 नवंबर को नोटबंदी लागू हुई और 9 नवंबर से लेकर 21 नवंबर यानि इन 13 दिनों में करप्शन से जुड़ी शिकायतों में 90 फीसदी की गिरावट आई है.

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मेयर ने बताया कि बीते 13 दिनों से साउथ एमसीडी में करप्शन से जुड़ी महज़ 4 शिकायतें मिली है जबकि 8 नवंबर से पहले के 13 दिनों में करप्शन से जुड़ी 40 शिकायतें मिली थी. मेयर श्याम शर्मा के मुताबिक लोग उनसे मिलने आते हैं तो ज़्यादातर शिकायतें करप्शन की होती थी लेकिन बीते 13 दिनों से एक भी शिकायत उन्हे खुद भी नहीं मिली है.

एमसीडी को दिल्ली के सबसे भ्रष्ट विभागों में से एक माना जाता है जिसे लेकर लगातार एमसीडी निशाने पर भी रहती है लेकिन नोटबंदी के बाद जो दावा मेयर कर रहे हैं जाहिर है उससे साउथ एमसीडी की छवि थोड़ी साफ ज़रूर होगी लेकिन इससे करप्शन पूरी तरह खत्म हो जाएगा ये कहना जल्दबाज़ी ही होगी.

पुराने नोटों से भी कमा रही है एमसीडी
एक तरफ तो एमसीडी करप्शन से जुड़ी शिकायतों में कमी का दावा कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ 500 और 1000 के पुराने नोटों को संपत्ति कर के लिए स्वीकार करने के कारण भी एमसीडी के खजाने में बढ़ोतरी हो रही है. फिलहाल 24 नवंबर तक संपत्ति मालिक अपने बकाया संपत्ति कर को पुराने नोटों के ज़रिए जमा कर सकते हैं. इसके अलावा भी तीनों निगमों ने 28 फरवरी 2017 तक बकाया संपत्ति कर पर लगने वाली पैनेल्टी और ब्याज को 100 फीसदी तक माफ कर दिया है ताकि लोग पैनेल्टी और ब्याज का डर छोड़ संपत्ति कर जमा कर सकें जिससे निगम की आमदनी बढ़ सके.

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