आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली का सीएम पद संभालते ही 15 दिनों के भीतर जनलोकपाल लाने का इरादा जाहिर किया था. केंद्र सरकार द्वारा पारित जनलोकपाल को केजरीवाल सरकार ने धोखा बताते हुए अपूर्ण बताया था. ऐसे में दिल्ली के लोकपाल बिल और उसके प्रावधानों को लेकर शुरू से चर्चा रही है. बहरहाल, केजरीवाल के दिल्ली लोकपाल बिल में पांच ऐसी बातें हैं, जो उसे केंद्र के जनलोकपाल बिल से बेहतर बनाती हैं.
1. जनलोकपाल बिल: लोकपाल का चयन 5 सदस्यों के द्वारा किया जाएगा. इनमें प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष, स्पीकर, चीफ जस्टिस के अलावा एक अन्य जूरी सदस्य होंगे, जिसे बाकी चार सदस्य चुनेंगे.
दिल्ली लोकपाल बिल: केंद्र के जनलोकपाल से इतर दिल्ली लोकपाल की चयन समिति में 7 सदस्य होंगे. इनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री (चयन समिति के अध्यक्ष), नेता प्रतिपक्ष, दिल्ली हाई कोर्ट के दो जज, पिछले लोकपाल अध्यक्षों में से एक और दो अन्य सदस्य शामिल होंगे, जिन्हें बाकी सदस्यों द्वारा चुना जाएगा.
2. जनलोकपाल बिल: लोकपाल को किसी भी शिकायत की जांच, जांच एजेंसियों द्वारा करवाने का अधिकार होगा, जिसमें सीबीआई भी शामिल है. हालांकि सभी एजेंसियों पर सरकार का प्रशासनिक नियंत्रण होगा. सीबीआई के ट्रांसफर, पोस्टिंग और पोस्ट रिटायरमेंट जॉब का अधिकार भी सरकार के पास होगा.
दिल्ली लोकपाल बिल: दिल्ली के लोकपाल को जांच के दौरान अधिकारी को निलंबित करने के साथ ही दंड देने का अधिकार भी होगा. इसमें अधिकारी को पद से हटाने या पदावनति (रैंक में कमी) का अधिकार शामिल है. लोकपाल के आदेश की अवहेलना करने पर लोक सेवक को दंड देने का अधिकार होगा. इसके तहत छह महीने जेल या जुर्माना या दोनों शामिल होगा. लोकपाल को एसीपी रैंक तक के अधिकारी को सर्च वारंट जारी करने का अधिकार होगा.
3. जनलोकपाल बिल: केंद्र के बिल में व्हिसल ब्लोअर की सुरक्षा और सिटिजन चार्टर को लेकर कोई चर्चा नहीं है.
दिल्ली लोकपाल बिल: अरविंद केजरीवाल के लोकपाल बिल में व्हिसल ब्लोअर को किसी तरह की धमकी मिलने की स्थिति में जांच करवाने का अधिकार होगा. जांच को 3 महीने में पूरा करना होगा.
4. जनलोकपाल बिल: गलत शिकायत दर्ज करवाने पर किसी भी व्यक्ति को एक साल तक जेल की सजा या फिर एक लाख रुपये जुर्माना भरना होगा.
दिल्ली लोकपाल बिल: गलत शिकायत दर्ज करवाने की स्थिति में आरोपी को 5 लाख जुर्माना या फिर एक साल सजा या दोनों का प्रावधान है.
5. जन लोकपाल बिल: यदि शिकायत निवारण अधिकारी तय समय सीमा में अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं करता है तो केंद्र के बिल में उसके लिए किसी तरह के दंड या जुर्माना की चर्चा नहीं है.
दिल्ली लोकपाल बिल: तय समय सीमा में शिकायत पर काम नहीं होने की स्थिति में शिकायत निवारण अधिकारी या संबंधित अधिकारी को प्रतिदिन 500 रुपये की दर से जुर्माना भरना होगा. हालांकि यह राशि 50 हजार से अधिक नहीं होगी. जुर्माने की रकम अधिकारी के वेतन से काट लिया जाएगा.