दिल्ली में पानी माफिया किस कदर हावी हो चुका है, ये अब किसी से छिपा नहीं है. आम आदमी सरकार से मायूस होकर मजबूरी में इन माफियाओं से पानी खरीदने को मजबूर है. दिल्ली आजतक के कैमरे ने बेनकाब किया इन पानी माफियाओं को जो पुलिस के साथ मिलकर इस गोरखधंधे को बड़े पैमाने पर चला रहे है.
दिल्ली उबल रही है लेकिन प्यास बुझाने के लिए दो बूंद पानी नहीं है. जाहिर है दिल्ली में जल युद्द है और चुनाव सिर पर है. लगता है जैसे पानी ही इस बार सरकार पलट देगा.
पानी के इस घमासान में जहां जनता गर्मी से झुलस रही है वहीं पानी का माफिया चांदी काट रहा है. हफ्तों की खोजबीन के बाद दिल्ली आजतक की मुहिम ने बेनकाब किया जल के उन जल्लादों को जो जमीन से चोरी का पानी निकाल कर खुलेआम नीलाम करके करोड़ों का खेल खेल रहे हैं.
दिल्ली में पानी माफिया का धंधा इतना फैला हुआ है कि इस धांधली के सबूत सेटेलाइट कैमरे तक कैद कर रहे हैं. इस पूरे धंधे को चलाने के लिए द्वारका के सेक्टर 23-24 के पास के वीरान इलाके का इस्तेमाल किया जाता है. एक जनरेटर की मदद से झाडियों की आड़ में लगाए गए सैकडों समर्सिबल पंप चलाए जाते हैं.
आजतक के कैमरे कैद हुआ है इस गोरखधंधे का का कच्चा चिठ्ठा. जी हां, आजतक को ऐसी कई रसीदबुक मिली है जिस पर चोरी के पानी की बोली लगती है. लेकिन यहां भी हैरत ये है कि इन काली किताबों पर सरकार और आयकर विभाग की नज़र क्यों नहीं पड़ती.
एशिया की सबसे बड़ी रिहायशी कॉलोनी द्वारका में सबकुछ है- ऊंची इमारतें, बेहतरीन सड़कें लेकिन पीने के पानी को यहां के लोग सालों से तरस रहे हैं.
पानी की इसी कमी का फायदा उठाकर जब पानी माफिया ने द्वारका की जमीन को भेदना शुरू किया तो एक संघर्ष संस्था ने पुलिस को इस काले कारोबार के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराई. लेकिन पानी माफिया इतने रसूखदार हैं कि शिकायत के बावजूद पानी का ये काला कारोबार बेरोकटोक चल रहा है.
पुलिस को क्रिकेट के सट्टे की तो चिंता है लेकिन दिल्ली की ज़मीन खोखली हो रही है इसकी चिंता किसी को नहीं.