साल का अंत नजदीक है लेकिन आम आदमी पार्टी की सरकार और उपराज्यपाल दफ्तर के बीच खींचतान का सिलसिला खत्म होने का नाम नही ले रहा है.
आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने उपराज्यपाल द्वारा फ़ाइल लौटाने का विरोध करते हुए कहा "एक चुनी हुई सरकार ने चुनावी मेनिफेस्टो में कुछ वादे किए हैं. घर के दरवाजे पर 40 सर्विसेज दी जा रही है. चुनी हुई सरकार को इस तरह की योजना लागू करने का अधिकार होना चाहिए. लेकिन छोटे- छोटे अड़ंगे लगाकर फाइलों को महीनों या सालों तक अटकाया जा रहा है.
एलजी को हां या ना कहने का हक नहीं
सुप्रीमकोर्ट ने भी कहा है कि एलजी को किसी योजना को हां या ना कहने का हक़ नही है. एलजी को एतराज है तो वो राष्ट्रपति को फ़ाइल भेज सकते हैं. एलजी सिर्फ राष्ट्रपति के नुमाइंदे हैं और सरकार की रजामंदी न होने पर राष्ट्रपति को फ़ाइल भेज सकते हैं".
एलजी को रखनी चाहिए पद की गरिमा
आम आदमी पार्टी का यह भी कहना है कि एलजी एक आईएएस ऑफिसर की ज़िम्मेदारी निभाकर रिटायर हो चुके हैं. सरकार भी उनसे 60 साल तक ज्ञान प्राप्त कर चुकी है. रिटायरमेंट के बाद उन्हें एलजी बनाया गया है तो एलजी को उस पद की गरिमा रखनी चाहिए.
बता दें कि 16 नवंबर 2017 को आम आदमी पार्टी सरकार ने दिल्लीवालों के घर तक सर्टिफिकेट, ड्राइविंग लाइसेंस जैसी 40 सर्विसेज पहुंचाने का फैसला अपनी कैबिनेट में किया था. फ़ाइल तुरंत एलजी दफ़्तर भेज दी गई थी लेकिन पिछले दिनों कई आपत्ति गिनाते हुए फाइल सीएम दफ़्तर को लौटा दी गई. इस फैसले से मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल इतने नाराज़ हुए कि आम आदमी पार्टी ने सोशल मीडिया पर एलजी अनिल बैजल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया.
बीच मे कहां से आ गए एलजी- भारद्वाज
भारद्वाज ने कहा "एलजी अपना मेनिफेस्टो निकालते, कहीं से चुनाव लड़ते और एलजी जीतकर सरकार चलाते. लेकिन जब जीते केजरीवाल हैं, सरकार और जवाबदेही अरविंद केजरीवाल की है और 2 साल बाद चुनाव केजरीवाल को लड़ना है तो एलजी बीच मे कहां से आ गए? एलजी क्या हैं? एलजी 60 साल की नौकरी से रिटायर हो चुके हैं, एलजी बताएं कि उन्होंने कितनी दिल्ली बदली?"
आपको बता दें कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली सरकार में अधिकारों और केंद्र सरकार की दखलअंदाजी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे हैं. हालांकि दिल्ली हाइकोर्ट अपने फैसले में ये साफ कर चुकी है कि दिल्ली के चीफ उपराज्यपाल ही हैं. फिलहाल केंद्र और राज्य के अधिकारों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सभी को इंतज़ार है.