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पीड़ि‍त सेक्स वर्कर है तो किसी को उसके साथ रेप का हक नहीं मिल जाता: कोर्ट

दिल्ली की एक अदालत ने रवांडा की एक महिला को अगवा करने और उससे गैंग रेप करने के जुर्म में चार युवकों को 10-10 साल की कैद की सजा सुनाई है. अदालत ने कहा कि महज इस आधार पर कि महिला यौनकर्मी के रूप में काम कर रही है, किसी को उसकी मर्यादा भंग करने का अधिकार नहीं मिल जाता.

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दिल्ली की एक अदालत ने रवांडा की एक महिला को अगवा करने और उससे गैंग रेप करने के जुर्म में चार युवकों को 10-10 साल की कैद की सजा सुनाई है. अदालत ने कहा कि महज इस आधार पर कि महिला यौनकर्मी के रूप में काम कर रही है, किसी को उसकी मर्यादा भंग करने का अधिकार नहीं मिल जाता.

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अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने सभी आरोपियों-दीपक, प्रवीण, विकास और अशोक इक्का को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया. ये चारों दिल्ली के निवासी हैं. अदालत ने मुजरिमों पर 59,000 रुपये जुर्माना भी लगाया और आदेश दिया कि यह रकम पीडि़ता को बतौर मुआवजा दी जाए.

अदालत ने अभियुक्तों के प्रति किसी तरह की नरमी दिखाने से इनकार करते हुए कहा, मामले के रिकॉर्ड पर नजर डालने से यह स्पष्ट है कि पीड़ि‍ता विदेशी है यानी रवांडा की शरणार्थी, जिसके साथ मुजरिमों ने यह घृणित अपराध किया. अदालत ने कहा, एक बार फिर यह दोहराया जाता है कि चूंकि पीड़ि‍त इस घटना से पहले यौनकर्मी के रूप में काम कर थी, इसलिए किसी को उसकी मर्यादा का उल्लंघन करने या उसे लूटने का अधिकार नहीं मिल जाता और निश्चित ही यह न्यूनतम निर्धारित सजा से कम सजा का आधार नहीं हो सकता.

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अभियोजन के अनुसार एक दिसंबर, 2012 को शाम सात बजे इन युवकों ने इस लड़की को अगवा किया और तिमारपुर के करीब एक कार में उससे गैंग रेप किया. चारों ने उसका कीमती सामान भी लूट लिया था. इस वारदात के बाद युवकों ने पीड़ि‍त को यमुना नदी के किनारे छोड़ दिया. वह एक राहगीर की मदद से वजीराबाद स्थित अपने घर पहुंची थी.

- इनपुट भाषा

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