दिल्ली में वायु प्रदूषण अभी भी एक गहरी चिंता का विषय बना हुआ है. खराब हवा के कारण लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है. मंगलवार सुबह जारी आंकड़ों के मुताबिक राजधानी में हवा की गुणवत्ता 'बहुत खराब' कैटेगरी में दर्ज की गई. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण दिल्ली के आस पास के राज्यों में जलाई जाने वाली पराली को बताया जा रहा है. आंकड़ों के मुताबिक इस सीजन में पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में 49% की वृद्धि हुई है.
मंगलवार की सुबह दिल्ली के कुछ हिस्सों में दृश्यता काफी खराब दिखी. हवा में धुएं से बना स्मॉग दिखा जिसके कारण विजिबिलिटी काफी घट गई. सीपीसीबी के वायु गुणवत्ता ट्रैकर के मुताबिक मंगलवार की सुबह राजधानी के आनंद विहार इलाके में एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 अंक दर्ज किया गया, जिससे हवा की गुणवत्ता 'बहुत खराब' हो गई.
इससे पहले सोमवार को दिल्ली में औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI, एयर क्वालिटी इंडेक्स) 293 दर्ज किया गया था, जो कि 'खराब' श्रेणी में आता है.
Air quality remains in 'very poor' category in Delhi; Visuals from near Commonwealth Games Village pic.twitter.com/o0RGO2DhLS
— ANI (@ANI) November 3, 2020
बता दें कि 0 और 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच 'मध्यम', 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 और 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है. कम तापमान और हवा स्थिर रहने से सतह के नजदीक प्रदूषक जमा हो जाते हैं जिससे वायु गुणवत्ता प्रभावित होती है.
49 फीसदी बढ़ीं पराली जलाने की घटनाएं
पंजाब में 21 सितंबर से दो नवंबर तक पराली जलाए जाने की पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 49 प्रतिशत अधिक घटनाएं हुई हैं. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार यह जानकारी सामने आई है. पंजाब सुदूर संवेदन केंद्र के आंकड़ों के अनुसार, इस धान के मौसम में राज्य में अब तक 21 सितंबर से 2 नवंबर तक पराली जलाने की 36,755 घटनाएं हुई हैं, जबकि 2019 में इसी अवधि में ऐसी घटनाओं की संख्या 24,726 थी.
राज्य में 2017 और 2018 में पराली जलाए जाने की घटनाओं की संख्या क्रमशः 29,156 और 24,428 रही थी. इस उत्तरी राज्य में कई किसान इस पर प्रतिबंध के बावजूद धान के पुआल को जला रहे हैं. पंजाब में सोमवार को पराली जलाने की 3,590 घटनाएं सामने आई हैं.