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दिल्ली की हवा हुई जहरीली, पराली जलाने की वजह से बढ़ रही एयर पॉल्यूशन की टेंशन

मौसम विज्ञान विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक दिन में उत्तर पश्चिमी हवाएं चल रही हैं जो पराली जलाने से पैदा हो रहे प्रदूषकों को अपने साथ ला रही हैं. रात में हवा के रुक जाने और तापमान घटने की वजह से वे तत्व जमा हो जा रहे हैं. 

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पराली जलाने से बढ़ रहा दिल्ली में प्रदूषण
पराली जलाने से बढ़ रहा दिल्ली में प्रदूषण
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बढ़ रहा दिल्ली में वायु प्रदूषण का कहर
  • पराली जलाने से बढ़ रहे हवा में प्रदूषक तत्व
  • तापमान घटने से रात में जमा हो रहे प्रदूषक

ठंड की दस्तक के साथ ही देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर भी दिनों दिन बढ़ता जा रहा है. कुछ दिन पहले दिल्ली की वायु गुणवत्ता 'गंभीर' की श्रेणी में थी. रविवार की सुबह राजधानी की हवा ‘‘खराब’’ श्रेणी में दर्ज की गई. दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने का मुख्य कारण है पंजाब और हरियाणा में जलाई जा रही पराली. एनसीआर में शनिवार को कुल ‘पीएम 2.5’ कणों में से 19 फीसदी पराली जलाने की वजह से आए थे जो पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा हैं.

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समाचार एजेंसी पीटीआई  के मुताबिक पिछले हफ्ते इन कणों में 3 से 18 फीसदी कण ही पराली जलाने से आए थे. दिल्ली में रविवार सुबह साढ़े आठ बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 275 दर्ज किया गया. जबकि शनिवार का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 287 दर्ज किया गया था, जबकि शुक्रवार को यह 239 और गुरुवार को 315 था. जो इस वर्ष 12 फरवरी के बाद से सबसे ज्यादा खराब है. 12 फरवरी को एक्यूआई 320 था.

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बता दें कि 0-50 तक के एयर क्वालिटी इंडेक्स को अच्छे, 51-100 संतोषजनक, 101 से 200 मध्यम, 201-300 खराब, 301 से 400 बहुत खराब, 401 से 500 गंभीर और 500 से ऊपर गंभीर और आपातकालीन स्थिति में गिना जाता है. 


मौसम विज्ञान विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक दिन में उत्तर पश्चिमी हवाएं चल रही हैं जो पराली जलाने से पैदा हो रहे प्रदूषकों को अपने साथ ला रही हैं. रात में हवा के रुक जाने और तापमान घटने की वजह से वे तत्व जमा हो जा रहे हैं. 

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बतौर, सरकारी एजेंसी सिस्टम ऑफ एयर क्वॉलिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग (SAFAR), पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा के वे क्षेत्र जो दिल्ली की सीमा के नजदीक हैं, वहां पर शनिवार को पराली जलाने की 882 घटनाएं हुईं हैं. इसकी वजह से ‘पीएम 2.5’ प्रदूषक तत्वों में पराली जलाने की हिस्सेदारी करीब 19 फीसदी रही. SAFAR के मुताबिक वायु संचार सूचकांक 12,500 वर्गमीटर प्रति सेकेंड रहने की उम्मीद है जो प्रदूषक तत्वों के बिखरने के लिए अनुकूल स्थिति है. 

बता दें की यदि वायु संचार सूचकांक 6000 से कम है या औसत वायु गति दस किमी प्रतिघंटा से कम है तो ऐसी स्थिति प्रदूषक तत्वों के बिखराव के लिए प्रतिकूल होती है. SAFAR से चेतावनी दी है कि पराली जलाने का प्रभाव सोमवार तक दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर काफी बढ़ सकता है.

शहर में बढ़ते वायु प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) ने एक विशेष अभियान शुरू किया है. जिसके तहत यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि प्रदूषण के खतरे से निपटने के लिए ठेकेदार व अन्य साइट कर्मी आवश्यक सभी प्रदूषण नियंत्रण उपाय कर रहे हैं या नहीं. इस अभियान में समय समय पर निरीक्षण किया जा रहा है. 

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