राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता मंगलवार की सुबह 'बहुत खराब' श्रेणी में दर्ज की गई. वहीं, पड़ोसी राज्यों में पराली जलाए जाने से वायु प्रदूषण के और बढ़ने की आशंका है. दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक दिल्ली में अधिकतम वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 377 दर्ज किया गया.
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता निगरानी संस्था 'सफर' ने कहा कि हवा की दिशा और हवा की गति हरियाणा, पंजाब और अन्य पड़ोसी क्षेत्रों में पराली जलने से निकले प्रदूषक तत्त्वों के दिल्ली पहुंचने के लिए अनुकूल है. दिल्ली के पीएम 2.5 संकेंद्रण में पराली जलाए जाने का योगदान रविवार को 19 फीसदी था.
दिल्ली में मंगलवार की सुबह वायु गुणवत्ता सूचकांक अधिकतम (एक्यूआई) 377 दर्ज किया गया. यहां, रोहिणी में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 343, आरके पूरम में 329, आनंद विहार में 377 और मुंडका में 363 पाया गया. वहीं, सोमवार को औसत एक्यूआई 343 और रविवार को 349 थी.
Delhi: Air Quality Index is at 346 in Rohini, 329 in RK Puram, 377 in Anand Vihar and 363 in Mundka; all four in 'very poor' category as per Delhi Pollution Control Committee data. pic.twitter.com/fcOsLaIOiw
— ANI (@ANI) October 27, 2020
शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 और 100 के बीच एक्यूआई को 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच 'मध्यम', 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 और 500 के बीच एक्यूआई को 'गंभीर' माना जाता है.
अन्य 8 बड़े शहरों की हवा की गुणवत्ता का स्तर
हवा की गति कम होने और तापमान कम होने से प्रदूषकों का संचय होता है जबकि हवा की गति तेज होने से प्रदूषकों के बिखराव में मदद मिलती है. केंद्र सरकार की वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान प्रणाली ने कहा कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में खेतों में पराली जलाए जा रहे हैं, जिससे दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता के प्रभावित होने की आशंका है.