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क्या आप नहीं चाहते बच्चे साफ हवा में सांस लें: केजरीवाल सरकार को SC की फटकार

दिल्ली में वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुआ कहा है कि क्या आप नहीं चाहते कि बच्चे साफ हवा में सांस लें. दरसअल प्रदूषण पर निगरानी के लिए रिमोट सेंसिंग मशीन लगाए जाने को लेकर कोर्ट ने सरकार को फटकारा है.

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सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

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दिल्ली में वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुआ कहा है कि क्या आप नहीं चाहते कि बच्चे साफ हवा में सांस लें. दरसअल प्रदूषण पर निगरानी के लिए रिमोट सेंसिंग मशीन लगाए जाने को लेकर कोर्ट ने सरकार को फटकारा है.

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दिल्ली परिवहन विभाग को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण से संबंधित मामलों की सुनवाई नियमित आधार पर कर रहा है, यह भी सिर्फ इसलिए ताकि लोग विशेष तौर पर बच्चे साफ हवा में सांस ले सकें.

दरअसल, डीटीसी ने एक हलफनामा दायर कर कोर्ट से गुहार लगाई थी कि वो प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की पहचान के लिए 5 नहीं बल्कि 1 या 2 मशीनें खरीदने का निर्देश दे. बता दें कि पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) ने डीटीसी को प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की पहचान के लिए 5 मशीनें खरीदने के लिए कहा था. डीटीसी ने इसी के खिलाफ कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था.

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डीटीसी के हलफनामे पर कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, 'क्या आपको यह नहीं लगता कि लोगों और बच्चों को एक स्वच्छ माहौल में जीना चाहिए?'

पीठ ने कहा, 'मात्र एक या दो (मशीनें) क्यों? पांच क्यों नहीं?' साथ ही पीठ ने कहा कि दिल्ली की हवा की गुणवत्ता काफी समय बाद अपने 'सर्वोत्तम' स्तर पर है. पीठ ने कहा, 'हम स्वच्छ वायु सुनिश्चित करने के लिए मामले को नियमित आधार पर ले रहे हैं. आपको ऐसी आपत्तियां दायर नहीं करनी चाहिए थी. आप वैध आपत्ति उठा सकते हैं.'

शीर्ष अदालत की न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने भी परिवहन विभाग की ओर से दायर हलफनामे की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि दिल्ली में वायु गुणवत्ता इतने लंबे समय के बाद केवल अदालत द्वारा पारित आदेश के चलते अच्छी हुई है. दिल्ली परिवहन विभाग ने अपने हलफनामे में इंटरनेशनल सेंटर फॉर आटोमोटिव टेक्नोलॉजी (आईसीएटी) द्वारा कराये गए अध्ययन में 'कुछ कमी' की बात कही है.

संस्था ने करीब 1.76 लाख वाहनों की जांच की और रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी को उपयोगी पाया. हलफनामे में कहा गया, 'जहां तक दिल्ली परिवहन विभाग द्वारा पांच मशीनें खरीद को लेकर ईपीसीए के सुझाव का सवाल है यह निवेदन किया जाता है कि वर्तमान समय में यह अदालत डीटीसी द्वारा मात्र एक या दो मशीनें खरीदने पर विचार कर सकती हैं और इसे बाद में धीरे धीरे बढ़ाया जा सकता है.'

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परिवहन विभाग ने कहा कि वह रिमोट सेंसिंग उपकरण की खरीद के संबंध में निविदा तभी जारी कर सकता है जब सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय विनिर्देश या मानक तय करे और तदनुसार प्रमाणित मशीनें उपलब्ध हों.

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने शीर्ष अदालत में दायर एक अलग हलफनामे में कहा है कि देश की 'विविधता और व्यापकता' को देखते हुए सड़क पर वाहनों के उत्सर्जन की निगरानी के लिए रिमोट सेंसिंग कार्यक्रम केवल सीमित क्षेत्रों में संभव है. पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 2 महीने बाद करना तय किया और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय से कहा कि वह रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी पर एक स्थिति रिपोर्ट दायर करे.

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