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दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की घनी चादर छा गई है. प्रदूषण ने इतना बुरा हाल कर दिया है कि हर ओर धुंध ही धुंध दिखाई दे रही है. राष्ट्रीय राजधानी में गुरुवार की सुबह हवा की गुणवत्ता में भारी गिरावट देखने को मिली है यानी दिल्ली में हवा 'बेहद खराब' से 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच गई है. हालांकि, बुधवार की सुबह दिल्ली में हवा की गुणवत्ता में आंशिक सुधार देखा गया था और कुछ समय के लिए वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 300 से नीचे चला गया था लेकिन बुधवार की शाम हवा और खराब हो गई जिससे विजिबिलिटी भी कम हो गई और लोगों को घुटन का भी सामना करना पड़ा. यह सिलसिला गुरुवार की सुबह भी जारी रहा.
बुधवार को श्रीनिवासपुरी में प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा 878 मापा गया. जबकि पूर्वी दिल्ली के आनंद विहार में भी पॉल्यूशन का लेपल काफी ज्यादा 742 दर्ज हुआ. अधिकांश जगहों पर प्रदूषण का स्तर 450 से ज्यादा ही रहा. वहीं, गुरुवार की सुबह दिल्ली के आरके पुरम में एयर क्वालिटी इंडेक्स का लेवल 451 दर्ज किया गया. वहीं, लोधी रोड पर 394, आईजीआई एयरपोर्ट पर 440 और द्वारका में हवा की गुणवत्ता स्तर 456 दर्ज किया गया.
बता दें कि 0 और 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच 'मध्यम', 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बेहद खराब' और 401 से 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है. दिल्ली में ठंड बढ़ने की वजह से धुल के कणों से मिलकर स्मॉग का निर्माण हो रहा है. मौसम वैज्ञानिकों और डॉक्टरों ने आगाह किया है कि आने वाले दिनों में प्रदूषण और बढ़ सकता है. हवाओं की मंद गति और कम तामपान की वजह से प्रदूषण फैलाने वाले तत्व सतह के करीब जमा हो जाते हैं लेकिन हवा की गति तेज होने से इनके बिखरने में मदद मिलती है.
गुरुवार सुबह दिल्ली-NCR में AQI लेवल
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण में बड़ा हाथ पंजाब और हरियाणा में जल रहे पराली का भी है. पंजाब में इस साल अबतक पराली जलाने के 36 हजार 755 मामले दर्ज हो चुके हैं जो साल 2019 के मुकाबले इतने ही वक्त में 49 फीसदी ज्यादा है. बरनाला में 28 किसानों और बठिंडा में 44 किसानों पर पराली जलाने के खिलाफ केस दर्ज किया जा चुका है. बठिंडा में प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने 41 टीमों का गठन किया है जिन्हें पराली से जुड़े केसों की छानबीन का जिम्मा सौंपा गया है.
दिल्ली में केंद्र सरकार की वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली ने बताया कि पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं (करीब 2,400) में कमी आई, लेकिन इनकी संख्या अब भी काफी ज्यादा है और दिल्ली और पश्चिमोत्तर भारत की वायु गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती हैं. दिल्ली में हवाओं की दिशा बदलने की वजह से मंगलवार को यहां प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी गिरकर 10 प्रतिशत पर आ गई थी.
#WATCH Poor visibility in Delhi-NCR due to rise of pollutants in the atmosphere; Visuals from Signature Bridge in Wazirabad.
— ANI (@ANI) November 5, 2020
Air Quality Index is at 486 in Sonia Vihar, in 'severe' category, according to the Central Pollution Control Board (CPCB) data. pic.twitter.com/V1OikKjUUe
दिल्ली की वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली के मुताबिक दिल्ली का वेंटिलेशन सूचकांक (हवा में वस्तुओं के घुलने की दर और औसत गति) बुधवार को 9,500 वर्ग मीटर प्रति सेकेंड रहेगा जो प्रदूषकों में बिखराव के लिए सहायक है. उल्लेखनीय है कि वेंटिलेशन सूचकांक 6,000 वर्ग मीटर प्रति सेकेंड और वायु की गति 10 किलोमीटर प्रति घंटे से कम होने पर प्रदूषकों के बिखराव के लिए प्रतिकूल परिस्थितियां उत्पन्न होती हैं.
18 राज्यों को NGT का नोटिस
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने बुधवार को पटाखे जलाने से होने वाले प्रदूषण के मामलों की सुनवाई का दायरा एनसीआर से बढ़ाते हुए 18 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया है. इन राज्यों मे वायु गुणवत्ता मानकों से कमतर है. एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह पहले ही दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को नोटिस जारी कर चुकी है. वहीं, ओडिशा और राजस्थान की सरकारें पहले ही पटाखों की खरीद-फरोख्त पर पाबंदी लगाने को लेकर अधिसूचना जारी कर चुकी हैं.
अधिकरण ने इस मामले पर आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, चंडीगढ़, छत्तीसढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, नगालैंड, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल से जवाब मांगा है. पीठ ने कहा, 'सभी संबंधित राज्य जहां वायु गुणवत्ता संतोषजनक नहीं है, वे ओडिशा और राजस्थान राज्यों की तरह कदम उठाने पर विचार कर सकते हैं.'
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