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प्रदूषण की इमरजेंसी! नजफगढ़ 500, आनंद विहार 495... दोपहर में दिल्ली के किस इलाके में कितना है AQI?

दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर बेहद गंभीर स्थिति में पहुंच चुका है. वायु प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली में ग्रैप 4 लागू हो चुका है, जिसमें कई तरह की पाबंदियां लगाई गई हैं. आइए जानते हैं कि दोपहर 12 बजे तक दिल्ली के किन इलाकों में AQI कितना पहुंच चुका है.

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Delhi Pollution
Delhi Pollution

दिल्ली इस समय गैस के चैंबर में तब्दील हो चुकी है. देश की राजधानी की हवा इतनी जहरीली हो गई है कि इसमें सांस लेने का मतलब है एक दिन में भारी मात्रा में सिगरेट पीना. वायु प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली में ग्रैप 4 लागू हो चुका है, जिसमें कई तरह की पाबंदिया लगाई गई हैं. GRAP-4 लागू होने के साथ ही कक्षा 10वीं और 12वीं के अलावा सभी छात्रों के लिए फिजिकल क्लासेस बंद कर दी गई हैं और अगले आदेश तक ऑनलाइन मोड में क्लासेस चलेंगी. वहीं निर्माण कार्य, डीजल जेनरेटर जैसी कई चीजों पर रोक लगा दी गई है. 

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जानें दोपहर 12 बजे किस इलाके में है कितना AQI

इस समय दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 490 तक पहुंच चुका है. आइए जानते हैं कि दोपहर 12 बजे तक दिल्ली के प्रमुख इलाकों में AQI कितना पहुंच चुका है. 

इलाके का नाम AQI
नजफगढ़ 500
आनंद विहार 495
नरेला 485
अशोक विहार 497
मुंडका 495
दिलशाद गार्डन 480
आईटीओ 450
पटपड़गंज 495
नेहरू नगर 499
लोधी रोड 487
द्वारका सेक्टर 8 500



air pollution

साल 2024 का प्रदूषण क्यों है सबसे खतरनाक?


क्या साल 2024 का प्रदूषण दिल्ली के सबसे खराब 2012 और 2016 से भी बुरा है? क्या दिल्ली का प्रदूषण और खराब होने वाला है? कैसे स्मॉग की चादर पाकिस्तान और पंजाब से अभी दिल्ली की तरफ बढ़ ही रही है. क्या होने वाला दिल्ली में आगे, इस बारे में इन तस्वीरों के जरिए बता रहे हैं तीन दशक तक दिल्ली के प्रदूषण पर काम करने वाले वैज्ञानिक डॉ मोहन पी जॉर्ज. 

साल 2012 में दिल्ली के प्रदूषण की स्थिति

प्रदूषण


साल 2016 में दिल्ली के प्रदूषण का हाल

IMD का अनुमान


साल 2024 में कहां तक फैला स्मॉग

pollution

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क्यों हर साल ठंड में बढ़ता है दिल्ली में प्रदूषण?

दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या एक गंभीर चुनौती बन गई है. हर साल सर्दियों के मौसम में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) का स्तर खतरनाक तक पहुंच जाता है. इसके महत्वपूर्ण कारणों में से एक है "तापमान उलटना" या टेंपरेचर इनवर्जन, जिसके कारण प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाती है. आमतौर पर ऊंचाई के साथ जैसे-जैसे हम ऊपर जाते हैं, हवा ठंडी होती जाती है. लेकिन सर्दियों में इसका उलटा हो जाता है. जमीन के पास की हवा ठंडी होती है जबकि उसके ऊपर की लेयर गर्म हो जाती है. इस स्थिति में, गर्म हवा की लेयर हमारे ऊपर बोतल के ढक्कन की तरह काम करती है, जो निचली ठंडी हवा को ऊपर उठने नहीं देती.

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इस वजह से प्रदूषण हमारे आसपास ही फंसा रहता है और छंट नहीं पाता. इस स्थिति को तापमान इनवर्जन कहा जाता है. जब यह स्थिति होती है, तब वायु प्रदूषण का स्तर और खराब हो जाता है क्योंकि प्रदूषण के कण वातावरण में सफर नहीं कर पाते. दिल्ली जैसे क्षेत्र में, जहां प्रदूषण पहले से ही एक बड़ा मुद्दा है, तापमान इनवर्जन की वजह से स्थिति और बिगड़ जाती है.

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पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं भी इस समस्या में योगदान करती हैं, लेकिन वे वाहक के रूप में कार्य करती हैं, मूल समस्या का कारण नहीं हैं. प्रत्येक सर्दी में दिल्ली को प्रदूषण के गंभीर स्तर का सामना करना पड़ता है और इसका मुख्य कारण टेंपरेचर इनवर्जन है. परंतु, सवाल यह है कि जब तापमान इनवर्जन होता है, तो इसका प्रभाव केवल दिल्ली पर ही क्यों पड़ता है? इसके पीछे कई कारण हैं. सबसे पहले, हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने से उत्पन्न धुआं दिल्ली की ओर बहता है, जिससे प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है. इसके अलावा, दिल्ली में वाहनों से होने वाला प्रदूषण भी एक बड़ा योगदानकर्ता है. निजी कारों के अलावा, दिल्ली एक प्रमुख व्यावसायिक केंद्र है जिससे ट्रक और अन्य वाणिज्यिक वाहनों की अधिकता है.

ग्रेप-4 में लगाई गई हैं ये पाबंदियां

1. दिल्ली में ट्रकों की एंट्री बंद (सिर्फ जरूरी सामान ले जाने वाले/जरूरी सेवाएं प्रदान करने वाले ट्रकों को छोड़कर). हालांकि, सभी एलएनजी/सीएनजी/इलेक्ट्रिक/बीएस-VI डीजल ट्रकों को दिल्ली में प्रवेश की अनुमति होगी.

2. ईवीएस/सीएनजी/बीएस-VI डीजल के अलावा दिल्ली के बाहर रजिस्टर्ड लाइट कमर्शियल व्हीकल (जरूरी सामान या सर्विस में इस्तेमाल होने वाली गाड़ियों को छोड़कर) को दिल्ली में प्रवेश की अनुमति नहीं. 

3. दिल्ली में रजिस्टर्ड बीएस-IV और उससे नीचे के डीजल से चलने वाले मीडियम गुड्स व्हीकल (एमजीवी) और हैवी गुड्स व्हीकल (एचजीवीएस) के चलने पर सख्त प्रतिबंध. हालांकि, इससे जरूरी सामान या सर्विस में इस्तेमाल होने वाली गाड़ियों को छूट दी गई है.

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4. ग्रैप-3 की तरह ही हाईवे, सड़क, फ्लाईओवर, ओवरब्रिज, पावर ट्रांसमिशन, पाइपलाइन, टेली कम्युनिकेशन जैसे पब्लिक प्रोजेक्ट के लिए भी कंस्ट्रक्शन और डेवलपमेंट गतिविधियों पर प्रतिबंध.

5. NCR की राज्य सरकारें और GNCTD क्लास-VI, IX और कक्षा XI तक की फिजिकल क्लासेस बंद करने और ऑनलाइन मोड में क्लास लगाने का फैसला ले सकती हैं.

6. एनसीआर की राज्य सरकारें/GNCTD सार्वजनिक, नगरपालिका और निजी दफ्तरों को 50% क्षमता पर काम करने और बाकी को घर से काम करने की अनुमति देने पर फैसला लिया जा सकता है.

7. केंद्र सरकार के दफ्तरों में कर्मचारियों को घर से काम करने की अनुमति देने पर निर्णय लिया जा सकता है.

8. राज्य सरकारें अतिरिक्त आपातकालीन उपायों पर विचार कर सकती हैं. जैसे कॉलेज/शैक्षणिक संस्थानों को बंद करना, गैर-आपातकालीन कमर्शियल एक्टिविटी को बंद करना, रिजस्टर्ड संख्या के आधार पर वाहनों को ऑड-ईवन के आधार पर चलाने की अनुमति देना.

9. नागरिकों से अपील की जा सकती है कि वे नागरिक चार्टर का पालन करें. ग्रैप-I, ग्रैप-II और ग्रैप-III के नागरिक चार्टर के अलावा, इलाके में वायु गुणवत्ता को बनाए रखने और सुधारने के लिए कार्यान्वयन में सहायता करें.

10. बच्चों, हार्ट और सांस संबंधी बीमारियों से जूझ रहे बुजुर्गों, दिमाग से जुड़े या किसी पुरानी बीमारी से जूझ रहे लोगों को बाहरी निकलने से बचने की सलाह दी जा सकती है.

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