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दिल्ली सरकार का बड़ा फैसला, अब होटल की छत या बेसमेंट पर नहीं बनाया जा सकेगा किचन

दिल्ली सरकार ने हाल ही में जांच के दौरान पाया था कि कई गेस्ट हाउसों की छतों और बेसमेंट का ऐसे अलग-अलग कामों के लिए गलत इस्तेमाल किया जा रहा है, जिनकी वजह से आग लगने का खतरा बना रहता है. सरकार का मानना है कि नए नियमों के बाद गेस्ट हाउसों के ऑपरेशन को रेगुलेट करने और उनमें फायर सेफ्टी को बढ़ाने में मदद मिलेगी.

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होटल में अग्निकांड के बाद दिल्ली सरकार ने बदले नियम
होटल में अग्निकांड के बाद दिल्ली सरकार ने बदले नियम

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देश की राजधानी में करोल बाग के एक होटल अर्पित में लगी आग की घटना में 17 लोगों की मौत के बाद दिल्ली सरकार ने कई बड़े फैसले लिए हैं जिसमें अब बेसमेंट या छत पर किचन नहीं बनाया जा सकेगा, साथ ही इन पर किसी तरह की कुकिंग एक्टिविटी भी नहीं की जा सकेगी. इसके अलावा ज्वलनशील चीजों को छत पर स्टोर करके नहीं रखा जा सकेगा.

अरविंद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली बिल्डिंग बायलॉज 2016 के प्रावधानों में अहम बदलाव करते हुए 10 नए संशोधनों को मंजूरी दे दी है. दिल्ली सरकार में शहरी विकास मंत्री सत्येंद्र जैन ने शुक्रवार को दिल्ली नगर निगम और फायर सर्विस के अधिकारियों के साथ बैठक करने के बाद उन्होंने निर्देश जारी किया कि होटल या गेस्ट हाउस के मालिक को हर फ्लोर के इस्तेमाल के हिसाब से अलग-अलग प्लान बनाकर फायर डिपार्टमेंट को देना होगा.

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सरकार ने हाल ही में जांच के दौरान पाया था कि कई गेस्ट हाउसों की छतों और बेसमेंट का ऐसे अलग-अलग कामों के लिए गलत इस्तेमाल किया जा रहा है, जिनकी वजह से आग लगने का खतरा बना रहता है. सरकार का मानना है कि नए नियमों के बाद गेस्ट हाउसों के ऑपरेशन को रेगुलेट करने और उनमें फायर सेफ्टी को बढ़ाने में मदद मिलेगी. साथ ही लापरवाही बरतने वालों की जवाबदेही भी सुनिश्चित की जा सकेगी.

दिल्ली सरकार ने दी 10 संशोधनों को मंजूरी

1. बेसमेंट या छत पर किचन नहीं बनाया जा सकेगा और न ही किसी तरह की कुकिंग एक्टिविटी की जा सकेगी यानी छत पर या बेसमेंट में खाना पकाने की अनुमति नहीं होगी.

2. ज्वलनशील चीजों को छत पर स्टोर करके नहीं रख सकेंगे.

3. गेस्ट हाउस की छत या टेरेस पर किसी भी ज्वलनशील चीज जैसे प्लास्टिक या फाइबर शीट से अस्थायी छत या शेड नहीं बनाए जा सकेंगे.

4. पैसेज, कॉरिडोर और सीढ़ियों के निर्माण में लकड़ी, फोम, कपड़े या कारपेट जैसी ज्वलनीशील चीजों से बने पैनल का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं होगी.

5. अगर कहीं गैस स्टोर करके रखनी है या गैस बैंक बनाना है, तो उसके इंतजाम नैशनल बिल्डिंग कोड में दिए गए मानकों पर खरे उतरने चाहिए और उसे एनबीसी के नियमों के अनुसार ही इंस्टॉल करना होगा.

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6. चार से ज्यादा मंजिल वाली इमारत में बने गेस्ट हाउस को फायर की एनओसी नहीं दी जाएगी. इन चार मंजिलों में बेसमेंट और स्टिल्ट फ्लोर भी शामिल होंगे.

7. फायर डिपार्टमेंट से एनओसी लेने के लिए जमा कराए जाने वाले आवेदन के साथ गेस्ट हाउस के ओनर, डायरेक्टर या पार्टनर को हर फ्लोर का अलग-अलग इवेक्श्यूएशन प्लान और फ्लोर का इस्तेमाल किस-किस काम के लिए किया जाएगा, उसकी जानकारी लिखित में देनी होगी और पूरा प्लान बनाकर उसकी साइन की हुई तीन हार्ड कॉपी और एक पीडीएफ फॉर्मेट वाली सॉफ्ट कॉपी फायर डिपार्टमेंट के पास जमा करानी होगी.

8. हर फ्लोर पर दिल्ली फायर सर्विस के द्वारा तय किए गए मानकों पर खरे उतरने वाले कार्बन मोनोऑक्साइड डिटेक्टर्स और अलार्म लगाने होंगे.

9. हर फ्लोर पर कॉरिडोर और सीढ़ियों के आस-पास से धुएं की निकासी यानि स्मोक वेंटिलेशन के लिए नेचुरल या मैकेनिकल इंतजाम करना जरूरी होगा.  

10. अगर गेस्ट हाउस के किसी फ्लोर पर 10 से ज्यादा लोगों के ठहरने की क्षमता है, तो हर फ्लोर पर सीढ़ियों के एंट्रेस पर ऐसे फायरप्रूफ दरवाजे लगाने होंगे, जिनकी अग्निरोधक क्षमता से जुड़ी रेटिंग एक घंटे से कम ना हो यानी दरवाजे ऐसे हों, जो आग लगने के बाद भी कम से कम एक घंटे तक उसे फैलने ना दें या आग की चपेट में आने के बावजूद तुरंत ना जलें.

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