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दिल्ली की CAG रिपोर्ट से जुड़ा केस फिर पहुंचा हाई कोर्ट, BJP ने लगाए कई आरोप

याचिका दायर कर हाई कोर्ट से गुजारिश की गई है कि वह दिल्ली सरकार को निर्देश जारी कर कैग की 14 रिपोर्ट्स को तुरंत ही स्पीकर को भेजने और इसके लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का आदेश दे.

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फिर HC पहुंचा CAG रिपोर्ट का मामला
फिर HC पहुंचा CAG रिपोर्ट का मामला

दिल्ली (Delhi) से संबंधित कैग (CAG) की 14 रिपोर्ट विधानसभा में पेश करने का मामला एक बार फिर दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गया है. इस बार भी बीजेपी के विधायकों ने याचिका दाखिल कर दिल्ली के मुख्यमंत्री को 14 CAG रिपोर्ट जल्द से जल्द विधानसभा स्पीकर के पास भेजने का निर्देश देने की गुहार लगाई है. याचिका में विधानसभा स्पीकर को 14 कैग रिपोर्ट विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर विधानसभा में पेश करने का निर्देश देने की मांग की गई है.

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दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने दिल्ली सरकार पर जानबूझकर CAG की 14 रिपोर्ट्स को दबाने का आरोप लगाते हुए कहा, "यह बड़े ही शर्म की बात है कि हाई कोर्ट में 16 दिसंबर को दिल्ली सरकार ने कैग की सभी 14 रिपोर्ट्स को दो से तीन दिन के अंदर विधानसभा अध्यक्ष को भेज देने का आश्वासन देने के बावजूद एक हफ्ते बाद तक भी आदमी पार्टी की सरकार ने न तो ये रिपोर्ट्स स्पीकर को भेजी हैं और ना ही इसके लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है."

याचिका दायर कर कोर्ट से गुजारिश की गई है कि वह दिल्ली सरकार को निर्देश जारी कर कैग की 14 रिपोर्ट्स को तुरंत ही स्पीकर को भेजने और इसके लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का आदेश दे.

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याचिका में कहा गया है, "स्पीकर ने उनको बताया कि 20 दिसंबर तक उनके पास CAG रिपोर्ट नहीं आई थी."

बीजेपी विधायकों के वकील ने दिल्ली हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस विभु बाखरू के सामने मेंशनिंग करके मामले की जल्द सुनवाई की मांग की है. दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में  मंगलवार को सुनवाई करने का भरोसा दिया.

'भ्रष्टाचार मामलों पर पर्दा डालने की कोशिश...'

याचिका दायर करने के बाद विजेंद्र गुप्ता ने कहा, "अपने भ्रष्टाचार और कारगुजारियों को छुपाने के लिए आम आदमी पार्टी की सरकार बार-बार विपक्ष की मांग, उपराज्यपाल के आदेश और कोर्ट में आश्वासन देने के बावजूद इन रिपोर्ट्स को विधानसभा में प्रस्तुत नहीं कर रही है."

उन्होंने कहा कि कैग की रिपोर्ट्स को जिस तरह से दबाया, छुपाया गया और सदन में प्रस्तुत नहीं किया गया, उससे सरकार शक के दायरे में है और बेनकाब हो चुकी है. AAP सरकार ने इन्हें सदन में प्रस्तुत न करके दिन दहाड़े लोकतांत्रिक परंपराओं और संविधान की हत्या की है क्योंकि CAG की रिपोर्ट को दबाने का मतलब है कि बड़े भ्रष्टाचार के मामलों पर पर्दा डालने की कोशिश की जा रही है.

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राष्ट्रपति से भी मिल चुका है विपक्ष

CAG मुद्दे को लेकर विपक्ष राष्ट्रपति से भी मिल चुका है. विधानसभा के सत्र में भी कई बार इस मुद्दे को उठा चुका है. विधानसभा अध्यक्ष और मुख्य सचिव से भी मिलकर इसकी शिकायत की जा चुकी है लेकिन सरकार ने इतने दबाव के बावजूद CAG की ये रिपोर्ट्स सदन में प्रस्तुत नहीं की. 

नेता प्रतिपक्ष और भारतीय जनता पार्टी के विधायक दल की तरफ से इस मामले में हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिस पर हुई सुनवाई के दौरान सरकार के वकीलों ने हाई कोर्ट को भरोसा दिलाया था कि सरकार दो से तीन दिन के अंदर इन रिपोर्ट्स को स्पीकर को भेज देगी, लेकिन एक हफ्ता बीत जाने के बावजूद सरकार ने अभी तक अपना वचन नहीं निभाया. इसे कोर्ट की अवमानना मानते हुए विपक्ष ने फिर से हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए फिर से याचिका दायर की है.

यह भी पढ़ें: 'विशेष सत्र बुलाकर पेश की जाए CAG रिपोर्ट...', LG ने सीएम आतिशी को लिखी चिट्ठी

विजेंद्र गुप्ता ने कहा, "2017-18 से लेकर 2021-22 तक 7 साल की CAG की रिपोर्ट्स दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी के पास लंबे समय से पेंडिंग थी और उन्हें दिल्ली सरकार द्वारा विधानसभा में प्रस्तुत नहीं किया गया.

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उन्होंने आगे कहा कि सरकार के प्रधान लेखा कार्यालय द्वारा मुख्यमंत्री आतिशी को 17 अक्टूबर 2024 को एक पत्र भेजकर सूचित किया गया था कि संविधान के अनुच्छेद 151, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 की धारा 411 और लेखापरीक्षा एवं लेखा विनियमन, 2007 के विनियमन 210 के तहत दिल्ली सरकार द्वारा सीएजी की लेखापरीक्षा रिपोर्ट्स को अनिवार्य रूप से दिल्ली विधानसभा में प्रस्तुत करना अनिवार्य है लेकिन बड़े दु:ख की बात है कि सरकार ने बावजूद इसके कैग की ये रिपोर्ट्स आज तक विधानसभा में प्रस्तुत नहीं की.

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