दिल्ली विधानसभा में बजट सत्र के तीसरे दिन चार आईएएस अधिकारियों के खिलाफ मामलों को दो अलग-अलग समितियों को भेजा गया है. इसमें खासतौर पर मंडलायुक्त मनीषा सक्सेना के खिलाफ मामले को विशेषाधिकार समिति को भेजा गया है. डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने विधानसभा में बताया कि मनीष सक्सेना ने काल्पनिक आधार पर एक इंटरव्यू दिया था, जिसकी मंशा अभिभावकों के बीच दहशत पैदा करनी थी.
इसके साथ ही प्रश्नों के अधूरे जवाबों और सही जानकारी नहीं देने को कारण बताते हुए दिल्ली विधानसभा ने अधिकारियों पर नकेल कसनी शुरू कर दी है. सबसे गंभीर मामला डिविजनल कमिश्नर मनीषा सक्सेना से जुड़ा है. सक्सेना पर सरकार ने आरोप लगाया है कि उन्होंने हाल ही में काल्पनिक तथ्यों के आधार पर इंटरव्यू दिया, जिससे अभिभावकों के बीच डर का माहौल बना.
मनीषा सक्सेना ने मुख्य सचिव से मारपीट मामले और हाल ही में स्कूल में हुई मारपीट के मामले को लेकर चिंता जताई थी. मामले को अब स्पीकर रामनिवास गोयल ने विशेषाधिकार कमेटी को सौंप दिया है. इसके अलावा DUSIB सीईओ, PGMS सेक्रेटरी, UD सेक्रेटरी पर भी विधानसभा का शिकंजा कसता जा रहा है. राशन वितरण में परेशानी, DUSIB के शौचालयों में अव्यवस्था और PGMS में दर्ज शिकायतों पर कार्रवाई के मामलो को Question & Reference कमेटी को भेजा गया है.
विधानसभा की कमेटी से जुड़े सौरभ भारद्वाज ने भी आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार और उप राज्यपाल के इशारों पर अधिकारी कमेटी की जांच प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बन रहे हैं. सत्ता में तीन साल पूरे कर चुकी आम आदमी पार्टी सरकार और अधिकारियों के बीच खींचतान का सिलसिला अब तक थमा नहीं है. मुख्य सचिव से मारपीट विवाद के बाद से लगातार अधिकरियों के साथ रिश्ते बिगड़े हुए हैं.
विधानसभा कमेटियों के ज़रिए भी अधिकारियों पर निशाना साधा जाता रहा है. ऐसे में बजट सत्र के दौरान लिए गए एक्शन के बाद अधिकारी और मंत्रियों के बीच तनाव बढ़ने की पूरी आशंका है.