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हंगामे भरा रहा दिल्ली विधानसभा में मानसून सत्र का पहला दिन

दिल्ली विधानसभा का मानसून सत्र मंगलवार से शुरू हो गया, लेकिन बीजेपी और AAP विधायकों के बीच तीखी नोकझोंक के कारण पहला दिन हंगामे की भेंट चढ़ गया.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

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दिल्ली विधानसभा का मानसून सत्र मंगलवार से शुरू हो गया, लेकिन बीजेपी और AAP विधायकों के बीच तीखी नोकझोंक के कारण पहला दिन हंगामे की भेंट चढ़ गया.

दरअसल सत्र की शुरुआत में बीजेपी ने दिल्ली के लाजपत नगर में सीवर की सफाई के दौरान मारे गए मजदूरों के मुद्दे पर बहस की मांग की, लेकिन आम आदमी पार्टी के विधायकों ने चंडीगढ़ में लड़की के साथ हुई छेड़छाड़ के मुद्दे पर बहस की मांग की, जिसके बाद बीजेपी और आम आदमी पार्टी के विधायक स्पीकर के सामने वेल में उतर आए और हंगामा करने लगे. इसके बाद सदन 15 मिनट के लिए स्थगित करना पड़ा. इसके बाद सदन दोबारा शुरू तो हुआ लेकिन एक बार फिर हंगामे के कारण उसे 30 मिनट के लिए स्थगित करना पड़ा.

तीसरी बार सदन शुरू होने पर बीजेपी विधायक एक बार फिर दलितों की मौत के मुद्दे पर बहस की मांग करते हुए स्पीकर के सामने पहुंच गये, जिसके बाद स्पीकर ने नेता प्रतिपक्ष विजेंदर गुप्ता, विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा को मार्शलों की मदद से सदन से बाहर कर दिया. हालांकि उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि सीएम केजरीवाल ने खुद सीवर की सफाई के दौरान मारे गए मजदूरों के परिजनों को 10 लाख रुपये और परिवार के किसी एक सदस्य को नौकरी का आदेश दिया है, लेकिन बीजेपी ने मुआवजा बढ़ाने की मांग की है.

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विपक्षा की मांग

बीजेपी नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंदर गुप्ता ने पूरे मामले की जांच के साथ मारे गए लोगों के परिजनों को 1 करोड़ रुपये मुआवज़े की मांग की. बीजेपी अकाली विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी मुआवज़े को कम बताया. उन्होंने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि केजरीवाल सरकार मुसलमानों के मरने पर 1 करोड़ रुपये मुआवजा देती है, लेकिन दलित की मौत पर सिर्फ 10 लाख रुपये. सिरसा ने आरोप लगाया कि जब NIA के अफसर को निजी दुश्मनी में जान गंवानी पड़ी तो सरकार ने 1 करोड़ रुपये दिए, अब जब एक दलित चंद पैसों के लिए गंदगी उठाने में मरा तो 10 लाख क्यों?

बीजेपी को मिला संदीप कुमार का साथ

पूर्व मंत्री और विधायक संदीप कुमार ने भी दिल्ली सरकार पर दलितों से भेदभाव का आरोप लगाया. संदीप कुमार ने कहा कि अगर सरकार हरियाणा के डीटीसी ड्राइवर और राजस्थान के किसान को 1 करोड़ दे सकती है तो फिर दिल्ली के सफाई कर्मचारी को क्यों नही.

 

 

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