दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल के साथ ब्लड डोनेशन के नाम पर फर्जीवाड़ा हुआ है. उनसे प्लाज्मा डोनेट करने के एवज में रुपये मांगे गए थे. इस बाबत स्पीकर राम निवास गोयल ने दिल्ली पुलिस के पास मामला दर्ज कराया है, जिसके आधार पर पुलिस ने मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है.
आरोप है कि प्लाज्मा डोनेशन के नाम पर स्पीकर राम निवास गोयल से पेटीएम के माध्यम से रुपये मंगवाए गए. आरोपी ने खुद को राम मनोहर लोहिया अस्पताल का डॉक्टर बताया था. दिल्ली पुलिस ने मामले की पड़ताल के बाद मुख्य आरोपी को गिरफ्तार किया है. आरोपी का असली नाम अब्दुल करीम उर्फ राहुल ठाकुर है. गिरफ्तार आरोपी ने खुलासा किया है कि ब्लड डोनेट के नाम पर उसने काफी लोगों को ठगा है.
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दिल्ली पुलिस की माने तो ब्लड डोनेशन के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाला आरोपी अपना नाम और धर्म बदलता रहता था. आरोपी मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर इलाके का रहने वाला है. फिलहाल, आरोपी से पूछताछ की जा रही है. साथ ही उसके बाकी सदस्यों की भी तलाश शुरू कर दी गई है.
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पुलिस का कहना है कि आरोपी ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है. आरोपी ने कबूल किया है कि उसने कई लोगों के साथ फर्जीवाड़ा किया है. वह डोनर बनकर उन लोगों को धोखा देता था, जिन्हें ब्लड की आवश्यकता होती थी. उसने स्पीकर राम निवास गोयल के अलावा कई लोगों के साथ फर्जीवाड़ा किया है.
ठगी के खिलाफ शिकायत
20 जून को सिविल लाइन्स पुलिस स्टेशन में शिकायत कराई गई. जांच और रिपोर्ट के लिए सब इंस्पेक्टर रॉबिन सिंह को चिन्हित किया गया था. शिकायत में कहा गया कि किसी ने रक्तदान के नाम पर 950 रुपये की धोखाधड़ी की थी. एसआई रॉबिन सिंह ने एफआईआर नंबर 266/20, यू/एस 420 आईपीसी के तहत धोखा देने का मामला दर्ज कर और जांच शुरू की गई.
जांच के दौरान, संदिग्ध के मोबाइल फोन नंबरों से आरोपी की पहचान अब्दुल करीम राणा पुत्र ममनुन उर्फ राहुल ठाकुर पुत्र मन्नू ठाकुर निवासी पुल प्रहलादपुर, दिल्ली से हुई. उसे गिरफ्तार कर लिया गया. पूछताछ के दौरान उसने अपराध कबूल लिया और यह भी खुलासा किया कि उसने रक्त/प्लाज्मा दान करने के नाम पर कई लोगों को धोखा देने के लिए मॉडस ऑपरेंडी को अपनाया. जिस मोबाइल का इस्तेमाल ठगने के लिए करता था उसे जब्त कर लिया है.
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गौरतलब है कि दिल्ली में कोरोना मरीजों के इलाज के लिए भी प्लाज्मा तकनीकी का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस तकनीकी में कोरोना पॉजिटिव से निगेटिव हुए मरीजों के खून से प्लाज्मा लिया जाता है और उसका इस्तेमाल कोरोना के सीरियस मरीजों के इलाज में किया जाता है. अभी साफ नहीं है कि इस फर्जीवाड़े के तार कोरोना इलाज से जुड़े हैं या नहीं.